कहानियां हमारे जीवन का हिस्सा है, और कहीं ना कहीं कहानी हमारे जीवन से किसी न किसी रूप में जुड़ा ही रहता है। हम चाहें ना चाहें कहानियों के दायरे से बाहर नहीं आ सकते। कहानियां हमें हंसाती हैं। रुलाती हैं। गुदगुदाती हैं। कहानियों को पढ़ने, सुनने, देखने से मन ऐसे ही गदगद हो जाता है। हमें लगता है कि जैसे हम ही कहानी में सच में मौजूद हैं, और कहानी हम पर ही बीत रही है। इस कारण हम कहानी से काफी ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं।
कहानियां हमारे जीवन का हिस्सा है, और कहीं ना कहीं कहानी हमारे जीवन से किसी न किसी रूप में जुड़ा ही रहता है। हम चाहें ना चाहें कहानियों के दायरे से बाहर नहीं आ सकते। कहानियां हमें हंसाती हैं। रुलाती हैं। गुदगुदाती हैं। कहानियों को पढ़ने, सुनने, देखने से मन ऐसे ही गदगद हो जाता है। हमें लगता है कि जैसे हम ही कहानी में सच में मौजूद हैं, और कहानी हम पर ही बीत रही है। इस कारण हम कहानी से काफी ज्यादा जुड़ाव महसूस करते हैं।
पुराने समय में दादा–दादी, नाना–नानी या घर के बड़े बुजुर्ग कहानियां सुनाते थे। मगर आजकल कहानियों का प्रचलन थोड़ा कम हो गया है। मगर दौर चाहे कोई भी हो कहानियों का महत्व हमेशा से रहा है, और इसके महत्व को दरकिनार नहीं किया जा सकता है। क्योंकि कहानियां हमें जीवन के मर्म को समझाती हैं। जीवन जीने का तरीका सिखाती हैं। हौसलों से लड़ना सिखाती हैं। सकारात्मक ऊर्जा देती हैं। हर पल उठकर खड़े होकर एक नए प्रयास की ओर आगे बढ़ने का फैसला प्रदान करती हैं, इसलिए कहानियों को कभी भी जीवन से अलग नहीं समझा जा सकता।
कहानियां मनोरंजन के साथ-साथ आपको बड़ी सीख देने का भी काम करती हैं। आपको जानकर हैरानी होगी कि कहानियां पढ़ने, सुनने, देखने से मस्तिष्क विकास में काफी ज्यादा प्रभाव देखने को मिलता है। कहानियां मन को कल्पनाशील बनाता है। जिससे बुद्धि के विकास में सहायता मिलती है। इसीलिए छोटे बच्चों को शुरुआती जीवन में ही ज्यादा कहानियां सुनानी चाहिए ताकि उनका मानसिक विकास सुदृढ़ हो सके।
इसीलिए मैं लाया हूं, आपके लिए जाने माने कहानीकार विष्णु शर्मा की लिखी हुई "पंचतंत्र की कहानियाँ" खरगोश और चूहे की कहानी | Rabbit And Rat Story In Hindi Panchtantra Moral Stories in Hindi एक ऐसी ही कहानी, जिसे पढ़कर आप रोमांचित हो उठेंगे। हम उम्मीद करते हैं कि ये कहानियां आपके जीवन में सकारात्मक बदलाव ला पाएंगी।
Table of contents
- Khargosh Aur Chuhe Ki Kahani - खरगोश और चूहे की कहानी
- Moral of the Story
Khargosh Aur Chuhe Ki Kahani - खरगोश और चूहे की कहानी
बहुत समय पहले की बात है। किसी जंगल में ढेर सारे जानवर रहा करते थे। उसी जंगल में बहुत सारे खरगोश भी रहते थे। उन्ही खरगोशों में से एक खरगोश अपने परिवार के साथ रहता था। खरगोश जहां रहता था, वहां आसपास बड़े जानवरों की संख्या ज्यादा थी। इसलिए खरगोश और उसका परिवार हमेशा डरा रहता था। खरगोश और उसका परिवार हमेशा इस बात से डरे हुए रहते थे कि कोई जानवर आकर उन्हें नुकसान न पहुंचा दे। कोई जानवर खरगोश और उनके परिवार को खा ना ले। इसलिए खरगोश और उसका परिवार हर हमेशा डरे सहमे रहते थे।
जंगल में बड़े जानवरों का आना-जाना लगा रहता था। जब भी जंगल में उन्हें अपने घर के आस-पास जरा भी हलचल सुनाई देती थी, तो वो झट से अपने बिल में छुप जाया करते थे। डर के मारे खरगोश कई दिन तक बिल से बाहर नहीं निकलते थे। दूसरे जानवरों का डर उन पर इस कदर हावी था कि उनकी आहट भर सुनकर उनमें से कुछ खरगोशों की डर से मौत हो गई। यह सब देखकर एक खरगोश बड़ा परेशान रहता था। कि आखिर क्या किया जाए? कि इस डर से छुटकारा पा लिया जाए। इसी तरह से दिन बीत रहे थे।
एक दिन की बात है। जंगल में घोड़ों का दल उनके घर के पास से गुजरा। घोड़ों की आवाज सुनकर सभी सहम गए और हमेशा की तरह अपने बिल में छुप गए। डर से पूरा दिन कोई बिल से बाहर खाने की तलाश में भी नहीं गया। अपने परिवार को इस हालत में देखकर खरगोश बेहद दुखी हुआ। उसने अपने आप को कोसते हुए कहा कि प्रकृति आपने हमें इतना कमजोर क्यों बनाया है। इस तरह जीने का क्या फायदा? जिसमें हर दिन अपनी जान को लेकर डर और भय बना रहता है।
तभी सारे खरगोश एक जगह इकट्ठा हुए, और विचार करने लगे कि कब तक डर के साए में जीते रहेंगे? सारे खरगोशों ने मिलकर फैसला किया कि हर समय डर और भय के चलते बिल में छुपकर रहने से अच्छा होगा कि सब मिलकर एक साथ अपना जीवन त्याग देते हैं। सभी खरगोश इकट्ठे होकर आत्महत्या करने के लिए नदी की ओर निकल गए। नियत समय पर खरगोश और उसका पूरा परिवार नदी के पास पहुंचे।ये सोच के आज सभी खरगोश अपने प्राण त्याग देंगे।
नदी के किनारे पहुंचने पर उन्होंने देखा कि नदी के पास कई सारे चूहों के बिल थे। जब चूहों ने खरगोशों को आते देखा तो वो सभी डर गए और इधर-उधर भागने लगे। कुछ चूहे बिल में घुस गए, तो कुछ नदी में गिरकर मर गए। चारों तरफ अफरा–तफरी का माहौल था। ये पूरा वाकया देखकर खरगोश दंग रह गए। उन्हें इस बात का यकीन नहीं हो रहा था कि उन्हें देखकर भी किसी में दहशत हो सकती है। अब तक तो वह खुद को ही सबसे कमजोर प्राणी समझते थे, और खुद को दोष देते थे। इसीलिए खुद को कमजोर समझ कर सारे खरगोश अपने प्राण त्याग करने के लिए नदी किनारे आप पहुंचे थे।
इस घटना को देखकर अब खरगोशों की समझ में आ गया था कि प्रकृति ने दुनिया में अलग-अलग खासियत के साथ जीव-जन्तु बनाए हैं। कोई छोटा, तो कोई मोटा, तो कोई बड़ा, तो कोई लम्बा, तो कोई पतला। जब सभी जीव–जन्तु अलग हैं, तो उनमें गुण भी अलग होंगे। इसलिए जो जैसा है, उसे वैसे ही स्वीकार करना चाहिए। अगर किसी में कमी है, तो उसमें कुछ गुण भी हैं। हर किसी में एक जैसे गुण नहीं हो सकते। ये समझने के बाद खरगोश और उसका परिवार घर वापस लौट गए।
Moral of the Story:– धरती में इतने सारे अलग–अलग प्रकार के जीव–जंतु हैं। जब अलग–अलग जीव हैं, तो उसमे मौजूद गुण–दोष भी अलग होंगे। प्रकृति ने सभी को शक्तिशाली बनाया है। इसलिए किसी भी रूप में अपने आप को कमजोर नहीं समझना चाहिए। आप शारीरिक रूप से छोटे हों, बड़े हों, पतले हों, लंबे हों, मोटे हों। किसी भी रूप में हों, इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता है। इसलिए बेवजह अपने आप को कमजोर सोचकर कुंठित महसूस नही करना चाहिए। बस फर्क इतना है कि सभी अलग-अलग क्षेत्र में अव्वल होते हैं। इसलिए हमेशा कमजोरी से भागने की जगह उसे ही अपनी ताकत बनाएं।
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प्रेरणादायी कहानियां