नमस्कार दोस्तों, आज हम लेकर आए हैं। एक ऐसे महापुरुष के अनमोल विचार गुरु नानक देव जी के अनमोल विचार | Guru Nanak Quotes in Hindi जिन्होंने देश और समाज में अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से देश और दुनिया को प्रेरित किया और समाज को एक नई दिशा दी। अनेकों कठिनाइयों के बावजुद समाज और देश में फैले कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक माने जाते हैं। तो चलिए आपको इनके विचारों से रूबरू कराते हैं। जिन्हें पढ़कर आप सदा प्रेरणा प्राप्त करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
गुरु नानक जी के अनमोल विचार | Guru Nanak Quotes in Hindi
This Post Includes:-
- गुरु नानक देव जी :- संक्षिप्त परिचय
- Guru Nanak Quotes in Hindi - गुरु नानक जी के अनमोल विचार
- Frequently Asked Questions (FAQS)
- ये भी पढ़ें – अन्य संबंधित सुविचार
गुरु नानक देव जी :- संक्षिप्त परिचय
- जन्म - कार्तिक पूर्णिमा, संवत् 1527 अथवा 29 अक्तूबर 1469, रावी नदी के किनारे, राय भोई की तलवंडी (ननकाना), (वर्तमान ननकाना साहिब, पंजाब पाकिस्तान, पाकिस्तान)
- व्यक्तित्व - दार्शनिक, योगी, धर्मसुधारक, समाजसुधारक, कवि, देशभक्त और विश्वबन्धु
- माता-पिता - तृप्ता देवी, लाला कल्याण राय (मेहता कालू जी)
- जीवनसाथी - सुलक्खनी देवी (लाखौकी, गुरदासपुर जिला)
- संतान - श्री चन्द्रमुनि (उदासी सम्प्रदाय के प्रवर्तक), लखमीदास
- अन्य नाम - नानक, नानक देव जी, बाबा नानक और नानकशाह
- धर्म ग्रंथ - आदि ग्रंथ साहिब (गुरुग्रन्थ) दसम ग्रंथ
- निधन - आश्वन कृष्ण 10, संवत् 1597, (22 सितंबर 1539)
- समाधि स्थल - गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर, पाकिस्तान
- उत्तराधिकारी - शिष्य भाई लहना (गुरु अंगद देव)
- विशेष - सिक्खों के प्रथम (आदि) गुरु
Guru Nanak Quotes in Hindi - गुरु नानक जी के अनमोल विचार
- मेहनत और ईमानदारी की कमाई में से जरूरतमंद को भी कुछ देना चाहिए। इससे आने वाले समय में जरूर लाभ मिलता है।
- वक्त हाथ से निकल रहा है। कब तक खुद को धोखा देते रहोगे? अभी भी समय है। अतः अपना असली मकसद पहचानों।
- इस जग को जीतने के लिए अपनी कमियों और अपने विचारों पर विजय पाना बहुत जरूरी है।
- आप जो भी बीज बोयेंगे। उसका फल आपको देर सबेर जरूर मिलेगा।
- अहंकार से ही मानवता का अंत होता है। अहंकार कभी नहीं करना चाहिए। बल्कि हृदय में सेवाभाव रखकर जीवन बिताना चाहिए।
- सभी मनुष्य एक ही हैं। न कोई हिन्दू, और न कोई मुसलमान। सभी एक समान हैं।
- नीचे बैठने वाला इन्सान कभी गिरता नहीं है।
- जीवन में इंसान के लिए दो चीजें सबसे महत्त्वपूर्ण हैं। पहला, गुरू का डर और दूसरा, गुरू का दर। गुरू का डर रहेगा, तो इंसान गुनाह करने से बचेगा, और गुरू का दर रहेगा, तो उसकी रहमतें बरसती रहेंगी।
- केवल वही बोलें, जो आपको मान-सम्मान दिलाए।
- अपने जीवन में, कभी ये न सोचें, कि यह असंभव है।
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- हम मौत को बुरा नही कहते। यदि हम जानते! कि वास्तव में मरा कैसे जाता है?
- अच्छी बुद्धि से, चित्त अच्छा हो जाता है।
- ईमानदारी से और मेहनत कर के उदरपूर्ति करनी चाहिए।
- बुरा कार्य करने के बारे में न सोचें और न किसी को सताएं।
- सत्य को जानना हर एक चीज से बड़ा है। उससे भी बड़ा है, सच्चाई से जीना।
- हर मनुष्य को सबसे पहले खुद की बुराइयों और गलत आदतों पर विजय पाने की कोशिश करनी चाहिए।
- हमें हमेशा लोभ का त्याग करना चाहिए और मेहनत से अपना धन कमाकर जीवन जीना चाहिए।
- हर इंसान को हमेशा अच्छे और विनम्र सेवाभाव से अपना जीवन गुजारना चाहिए, क्योंकि अहंकार मनुष्य का सबसे बड़ा दुश्मन होता है। अत: मनुष्य को अहंकार नहीं करना चाहिए।
- लोभ का त्याग कर अपने हाथों से मेहनत कर न्यायोचित तरीकों से धन का अर्जन करना चाहिए। इस तरह का अर्जित किया गया धन कभी बर्बाद नहीं होता है।
- किसी का भी हक नहीं छिनना चाहिए। जो दूसरों का हक छिनता है। उसे कभी भी समाज में सम्मान नहीं मिलता है।
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- इंसान अपना जीवन सोने और खाने-पीने में गवां देता है, और उनका महत्वपूर्ण जीवन बर्बाद हो जाता है।
- हमेशा तनाव मुक्त रहकर हमें अपने कर्म को निरंतर करते रहना चाहिए और हमेशा खुश रहना चाहिए।
- धन को जेब तक ही सीमित रखना चाहिए। उसे हृदय में स्थान नहीं देना चाहिए। क्योंकि हृदय पर स्थान देने से लालसा और बढ़ जाती है।
- स्त्री-जाति का आदर करना चाहिए। स्त्री और पुरुष दोनों को ही बराबर मानना चाहिए।
- औरत का सम्मान करना चाहिए क्योंकि इस संसार की जन्मदाता ही औरत है।
- संसार को जीतने से पहले स्वयं अपने विकारों पर विजय पाना अति आवश्यक है। जब आप खुद के विकारों पर विजय पा लेंगे, तो आपको कोई भी सफलता की सीढ़ियों से नीचे नहीं गिरा पाएगा।
- जो इंसान कड़ी-मेहनत करके कमाता है, और अपनी मेहनत की कमाई में से थोड़ा सा भी दान करता है। वह सत्य मार्ग ढूंढ लेता है।
- गुरु के द्वारा ही आपके जीवन में प्रकाश संभव है। गुरु उपकारक है। पूर्णशांति उनमें निहित है। गुरु ही तीनो लोकों में उजाला करने वाला प्रकाशपुंज है और सच्चा शिष्य ही ज्ञान और शांति प्राप्त करता है।
- यदि तू अपने दिमाग को शांत रख सकता है, तो तू विश्व पर विजयी होगा।
- दुनिया में किसी भी व्यक्ति को भ्रम में नहीं रहना चाहिए। बिना गुरु के कोई भी दुसरे किनारे तक नहीं जा सकता है।
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- अहंकार इंसान को इंसान नही रहने देता है। इसलिए हमें अहंकार को त्यागकर विनम्र सेवाभाव से यह जीवन गुजारना चाहिए।
- अहंकार कभी नहीं करें, बल्कि विनम्र भाव से जीवन गुजारें। अहंकार करने से बड़े–बड़े विद्वान भी बर्बाद हो गए।
- चिंता मुक्त होकर कर्म करते रहना चाहिए। संसार जीतने से पहले अपने विकारों पर विजय पाना जरूरी है।
- कठिनाईयों से भरी इस दुनिया में जिसे अपने आप पर भरोसा होता है।वही विजेता कहलाता है।
- संसार को जला दें और अपनी राख को घीसकर उसे स्याही बनाएं। अपने दिल को कलम बनाएं और वह लिखें, जिसका कोई अंत नहीं हो। जिसकी कोई सीमा भी नहीं हो।
- धन-समृद्धि से युक्त, बड़े–बड़े राज्यों के राजा-महाराजों की तुलना भी उस चींटी से नहीं की जा सकती है।जिसमें ईश्वर का प्रेम भरा हो।
- वह जो सभी को बराबर मानता है, धार्मिक है। धर्म, केवल इंसान को बांटता है, और वह व्यक्ति, जो सभी धर्म, जाति और अन्य प्रकार की सभी विडम्बनाओं को छोड़कर सभी को बराबर मानता है। वही वास्तव में धार्मिक है।
- भोजन शरीर को जि़ंदा रखने के लिए ज़रूरी है, पर लोभ-लालच व संग्रहवृत्ति बुरी है।
- सांसारिक प्यार को जला दो। राख को रगड़ कर उसकी स्याही बना लो। दिल को कलम, बुद्धि को लेखक बना लो। वो लिखो, जिसका कोई अंत ना हो। कोई सीमा ना हो।
- तेरी हजारों आँखें हैं, और फिर भी एक आंख भी नहीं। तेरे हज़ारों रूप हैं, फिर भी एक रूप भी नहीं।
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- यदि लोग, अपने धन का प्रयोग सिर्फ अपने लिए, और खजाना भरने के लिए करते हैं, तो वह शव की तरह है, लेकिन यदि वे, इसे दूसरों के साथ इसे बांटने का निर्णय लेते हैं, तो वह पवित्र प्रसाद बन जाता है।
- अपनी कमाई का 10वां हिस्सा परोपकार के लिए और अपने समय का 10वां हिस्सा प्रभु भक्ति में लगाना चाहिए।
- प्रभु के लिए खुशियों के गीत गाओ। प्रभु के नाम की सेवा करो, और उसके सेवकों के सेवक बन जाओ।
- करुणा को रुई, सन्तोष को धागा, नम्रता को गाँठ और सत्यता को मरोड़ बनाओ। यह आत्मा का पवित्र धागा है, तब आगे बढ़ो और इसे मुझ पर डाल दो।
- ना मैं एक बच्चा हूं , ना एक नवयुवक, ना ही मैं पौराणिक हूं, ना ही किसी जाति का हूं।
- कर्मभूमि पर फल पाने के लिए कर्म सबको करना पड़ता है। ईश्वर तो सिर्फ लक़ीरें देते हैं, पर रंग उनमें हमको भरना पड़ता है।
- हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहो। क्योंकि जब आप किसी की मदद करते हैं, तो ईश्वर आपकी मदद करता है।
- लोगों को प्रेम, एकता, समानता, भाईचारा और आध्यात्मिक ज्योति का संदेश देना चाहिए।
- कोई भी ईश्वर को तर्क के माध्यम से नहीं समझ सकता। भले ही वह जीवन भर तर्क करता रहे।
- भगवान एक है, लेकिन उसके कई रूप हैं। वो सभी का निर्माणकर्ता है और वो खुद मनुष्य का रूप लेता है।
- दुनिया एक नाटक है, जो एक सपने मे मंचित है।
- एक योगी को किस बात का डर ? पेड़-पौधे और जो कुछ भी अन्दर और बाहर है। वह खुद ही है।
- ईश्वर, एक है और वह सर्वत्र विद्यमान हैं। हमें सबके साथ प्रेमपूर्वक रहना चाहिए।
- ईश्वर की भक्ति करने वालों को किसी का भय नहीं रहता। क्योंकि मानसिक तनाव से मुक्ति मिल जाती है।
- हीरा, बनाया है ईश्वर ने हर किसी को लेकिन चमकता तो वही है। जो तराशने की हद से गुजरता है।
- कोई भी ईश्वर की सीमाओं और हदों को नहीं जान पाया है।
- जब शरीर मैला हो जाता है, तो हम पानी से उसे साफ़ कर लेते हैं। उसी तरह जब हमारा मन मैला हो जाए, तो उसे ईश्वर के जाप और प्रेम द्वारा ही स्वच्छ किया जा सकता है।
- जो प्रेम किया करते हैं, उन्होंने ईश्वर को पा लिया है।
- भगवान के दरबार में सभी कर्मों का लेखा-जोखा रहता है।
- ईश्वर एक है। सदैव एक ही ईश्वर की उपासना करो।
- ईश्वर सब जगह और प्राणी मात्र में मौजूद है।
- ईश्वर एक है और उसे पाने का तरीका भी एक है। यही सत्य है। वो रचनात्मक है और वो अनश्वर है। जिनमें कोई डर नहीं और जो द्वेष भाव से परे है। इसे गुरु की कृपा द्वारा ही प्राप्त किया जा सकता है।
- सदैव प्रसन्न रहना चाहिए। ईश्वर से सदा अपने लिए क्षमा मांगनी चाहिए।
- जिसे खुद पर विश्वास हो, वही भगवान पर विश्वास कर सकता है।
- ईश्वर की हज़ारों आँखें हैं, और फिर भी एक भी आँख नहीं। ईश्वर के हज़ारों रूप हैं, और फिर भी निराकार हैं।
- अगर किसी दूसरे का दुःख देखकर आपको भी दुःख होता है, तो समझ लेना कि भगवान ने आपको इंसान बना कर कोई गलती नहीं की।
- ईश्वर, वह है जिसकी चमक से सारा जहाँ रोशन है। प्रकाशमान है।
- ईश्वर की सीमायें और हदें संपूर्ण मानव जाति की सोच से परे हैं।
- जब आप किसी की मदद करते हैं, तो ईश्वर आपकी मदद करता है। हमेशा दूसरों की मदद के लिए तैयार रहो।
Frequently Asked Questions (FAQS):-
- गुरु नानक देव जी का जन्म कब हुआ था?
- इनका जन्म कार्तिक पूर्णिमा, संवत् 1527 अथवा 29 अक्तूबर 1469, रावी नदी के किनारे, राय भोई की तलवंडी (ननकाना), (वर्तमान ननकाना साहिब, पंजाब, पाकिस्तान, पाकिस्तान) में हुआ था।
- गुरु नानक देव जी के माता-पिता का क्या नाम था?
- गुरु नानक देव जी की माता तृप्ता देवी एवम पिता लाला कल्याण राय (मेहता कालू जी) थे।
- गुरु नानक देव जी के पत्नी का क्या नाम था?
- गुरु नानक देव जी का विवाह बचपन मे सोलह वर्ष की आयु में गुरदासपुर जिले के अन्तर्गत लाखौकी नामक स्थान के रहने वाले मूला की कन्या सुलक्खनी से हुआ था।
- सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु कौन थे?
- सिक्ख धर्म के प्रथम गुरु नानक देव जी थे। और अन्तिम गुरु गोबिंद सिंह जी हुए थे।
- सिक्ख धर्म के धर्म ग्रंथ का क्या नाम है?
- सिक्ख धर्म के धर्म ग्रंथ आदि ग्रंथ साहिब (गुरुग्रन्थ) दसम ग्रंथ है।
- सिक्ख धर्म के दस धर्म गुरुओं ने नाम लिखिए।
- सिक्ख धर्म के दस धर्म गुरुओं ने नाम थे - गुरु नानक देव जी, गुरु अंगद देव, गुरु अमर दास, गुरु राम दास, गुरु अर्जुन देव, गुरु हरगोबिन्द, गुरु हर राय, गुरु हर किशन, गुरु तेग बहादुर, गुरु गोबिंद सिंह
- गुरु नानक देव जी किस धारा के संत थे?
- हिन्दी साहित्य में गुरुनानक भक्तिकाल के अन्तर्गत आते हैं। वे भक्तिकाल में निर्गुण धारा की ज्ञानाश्रयी शाखा से सम्बन्ध रखते हैं। उनकी कृति के सम्बन्ध में आचार्य रामचन्द्र शुक्ल 'हिन्दी साहित्य का इतिहास' में लिखते हैं कि "भक्तिभाव से पूर्ण होकर वे जो भजन गाया करते थे। उनका संग्रह (संवत् 1661) ग्रन्थ साहब में किया गया है।"[14]
- गुरु नानक देव जी का निधन कब हुआ था?
- इनका निधन आश्वन कृष्ण 10, संवत् 1597, (22 सितंबर 1539) गुरुद्वारा दरबार साहिब, करतारपुर, पाकिस्तान में हुआ था।
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