छत्रपति शिवाजी महाराज के अनमोल विचार | Chhatrapati Shivaji Maharaj Quotes In Hindi

छत्रपति शिवाजी महाराज :- संक्षिप्त परिचय

छत्रपति शिवाजी महाराज का जन्म 19 फरवरी, 1630 को शिवनेरी दुर्ग में हुआ था। मालोजीराजे भोसले (1552–1597) अहमदनगर सल्तनत के एक प्रभावशाली जनरल थे, पुणे चाकण और इंदापुर के देशमुख थे। मालोजीराजे के बेटे शहाजीराजे भी विजापुर सुल्तान के दरबार में बहुत प्रभावशाली राजनेता थे। शहाजी राजे अपने पत्नी जिजाबाई से शिवाजी का जन्म हुआ। उनके पिता शहाजीराजे भोंसले एक शक्तिशाली सामंत राजा थे। उनकी माता जिजाबाई जाधवराव कुल में उत्पन्न असाधारण प्रतिभाशाली महिला थी। शिवाजी के बड़े भाई का नाम सम्भाजी राजे था। जो अधिकतर समय अपने पिता शहाजी राजे भोसले के साथ ही रहते थे। शहाजी राजे कि दूसरी पत्नी तुकाबाई मोहिते थीं। उनसे एक पुत्र हुआ जिसका नाम व्यंकोजी राजे था। शिवाजी महाराज के चरित्र पर माता-पिता का बहुत प्रभाव पड़ा। उनका बचपन उनकी माता के मार्गदर्शन में बीता।

 उन्होंने राजनीति एवं युद्ध की शिक्षा ली थी। वे उस युग के वातावरण और घटनाओं को भली प्रकार समझने लगे थे। उनके हृदय में स्वाधीनता की लौ प्रज्ज्वलित हो गयी थी। उन्होंने कुछ स्वामिभक्त साथियों का संगठन किया। शिवाजी की माता जीजाबाई बड़ी ही धार्मिक प्रवृत्ति की थी| उनका इनके जीवन पर अत्यधिक अच्छा प्रभाव पड़ा। शिवाजी का विवाह सन् 14 मई 1640 में सइबाई निंबाळकर (सई भोसले) के साथ लाल महल, पुणे में हुआ था। सई भोसले शिवाजी की पहली और प्रमुख पत्नी थीं। वह अपने पति के उत्तराधिकारी सम्भाजी की मां थीं। शिवाजी ने कुल 8 विवाह किए थे। वैवाहिक राजनीति के जरिए उन्होंने सभी मराठा सरदारों को एक छत्र के नीचे लाने में सफलता प्राप्त की। शिवाजी की पत्नियाँ थी- 1.सईबाई निंबालकर – (सम्भाजी, रानूबाई, सखूबाई, अंबिकाबाई), 2.सोयराबाई मोहिते– (राजाराम, दीपाबाई ), 3.सकवरबाई गायकवाड – (कमलाबाई), 4.सगुणाबाई शिर्के – (राजकुवरबाई), 5.पुतलाबाई पालकर, 6.काशीबाई जाधव, 7.लक्ष्मीबाई विचारे, 8.गुंवांताबाई इंगले। 

छत्रपति शिवाजी महाराज या शिवाजी राजे भोसले (1630-1680) भारत के महान योद्धा एवं रणनीतिकार थे। जिन्होंने 1674 में पश्चिम भारत में मराठा साम्राज्य की नींव रखी। उन्होंने कई वर्ष औरंगज़ेब के मुगल साम्राज्य से संघर्ष किया। सन 1764 में रायगढ़ में उनका राज्याभिषेक हुआ, और छत्रपति बने। शिवाजी महाराज ने अपनी अनुशासित सेना एवं सुसंगठित प्रशासनिक इकाइयों की सहायता से एक योग्य एवं प्रगतिशील प्रशासन प्रदान किया। उन्होंने समर-विद्या में अनेक नवाचार किये तथा छापामार युद्ध की नयी शैली (शिवसूत्र) विकसित की। उन्होंने प्राचीन राजनैतिक प्रथाओं तथा दरबारी शिष्टाचारों को पुनर्जीवित किया, और फारसी के स्थान पर मराठी एवं संस्कृत को राजकाज की भाषा बनाया। वे भारतीय स्वाधीनता संग्राम में नायक के रूप में स्मरण किए जाने लगे। बाल गंगाधर तिलक ने राष्ट्रीयता की भावना के विकास के लिए शिवाजी राजे जन्मोत्सव की शुरुआत की। बम्बई के दक्षिण में कोंकण, तुंगभद्रा नदी के पश्चिम में बेळगांव तथा धारवाड़ का क्षेत्र, मैसूर, वैलारी, त्रिचूर तथा जिंजी पर अधिकार करने के बाद 3 अप्रैल, 1680 को शिवाजी का देहान्त हो गया।

प्रमुख तिथियां और घटनाएं:-

  • 19 फरवरी 1630 : शिवाजी महाराज का जन्म।
  • 14 मई 1640 : शिवाजी महाराज और साईबाई का विवाह
  • 1642: शिवाजी और सोयाराबाई का विवाह
  • 1646 : शिवाजी महाराज ने पुणे के पास तोरण दुर्ग पर अधिकार कर लिया।
  • 1656 : शिवाजी महाराज ने चन्द्रराव मोरे से जावली जीता।
  • 10 नवंबर, 1659 : शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध किया।
  • 5 सितंबर, 1659 : संभाजी का जन्म।
  • 1659 : शिवाजी महाराज ने बीजापुर पर अधिकार कर लिया।
  • 6 से 10 जनवरी, 1664 : शिवाजी महाराज ने सूरत पर धावा बोला और बहुत सारी धन-सम्पत्ति प्राप्त की।
  • 1665 : शिवाजी महाराज ने औरंगजेब के साथ पुरन्धर शांति सन्धि पर हस्ताक्षर किया।
  • 1666 : शिवाजी महाराज आगरा कारावास से भाग निकले।
  • 1667 : औरंगजेब राजा शिवाजी महाराज के शीर्षक अनुदान। उन्होंने कहा कि कर लगाने का अधिकार प्राप्त है।
  • 1668 : शिवाजी महाराज और औरंगजेब के बीच शांति सन्धि
  • 1670 : शिवाजी महाराज ने दूसरी बार सूरत पर धावा बोला।
  • 1670: राजाराम का जन्म
  • 1674 : शिवाजी महाराज ने रायगढ़ में 'छत्रपति'की पदवी मिली और राज्याभिषेक करवाया । 18 जून को जीजाबाई की मृत्यु।
  • 3 अप्रैल 1680 : शिवाजी महाराज की मृत्यु।

छत्रपति शिवाजी महाराज के अनमोल विचार |  Chhatrapati Shivaji Maharaj Quotes In Hindi

  • अगर आपके पास दृढ़ इच्छाशक्ति और फ़ौलादी आत्मबल है, तो आप संपूर्ण जगत पर अपना विजय पताका फहरा सकते हैं।
  • अंगूर को जब तक न पेरो, वो मीठी मदिरा नही बनती। वैसे ही मनुष्य जब तक कष्ट मे पिसता नही, तब तक उसके अन्दर की सर्वोत्तम प्रतिभा बाहर नही आती।
  • अपने आत्मबल को जगाने वाला, खुद को पहचानने वाला, और मानव जाति के कल्याण की सोच रखने वाला, पूरे विश्व पर राज्य कर सकता है।
  • आत्मबल हमेशा करने की सामर्थ्य देता है, और सामर्थ्य विद्या से आती है। विद्या जो की हमेशा स्थिरता प्रदान करती है, और स्थिरता हमेशा विजय की ओर ले जाती है।
  • शत्रु चाहे कितना ही बलवान क्यो न हो? उसे अपने इरादों और उत्साह मात्र से भी परास्त किया जा सकता है।
  • आप एक छोटे कदम से, छोटे से लक्ष्य की शुरुआत करके भी बड़े-बड़े लक्ष्य को आसानी से पा सकते है।
  • आप जहाँ कही भी रहते हैं, आपको अपने पूर्वजों का इतिहास जरुर मालूम होना चाहिए।
  • आपका शत्रु चाहे कितना बलवान क्यूँ ना हो, उसे सिर्फ मजबूत इरादे और बुलंद हौसले से पराजित किया जा सकता है।
  •  जब हौसले बुलन्द हों, तो पहाड़ भी एक मिट्टी का ढेर लगता है।
  • इस जीवन मे सिर्फ अच्छे दिन की आशा नही रखनी चाहिए, क्योंकि  दिन और रात की तरह अच्छे दिनो को भी बदलना पङता है।
  • इस दुनिया में हर व्यक्ति को स्वतंत्र रहने का अधिकार है, और उस अधिकार को पाने के लिए वह किसी से लड़ सकता है।
  • एक पुरुषार्थी भी, एक तेजस्वी विद्वान के सामने झुकता है, क्योंकि पुरुषार्थ भी विद्या से ही आती है।
  • प्रतिशोध की भावना मनुष्य को जलाती रहती है। सिर्फ संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक उपाय हो सकता है।
  • एक वीर योद्धा केवल विद्वानों के सामने ही झुकता है।
  • एक सफल व्यक्ति, अपने कर्तव्य की पराकाष्ठा के लिए, सम्पूर्ण मानव जाति की चुनौती स्वीकार कर लेता है।
  • एक स्त्री के सभी अधिकारों में सबसे महान अधिकार उसकी माँ होने में है।
  • कभी भी अपना सिर नही झुकाना चाहिए, बल्कि हमेशा ऊँचा ही रखना चाहिए।
  • कोई भी कार्य करने से पहले उसका परिणाम सोच लेना हितकर होता है, क्योंकि हमारी आने वाली पीढी उसी का अनुसरण करती है।
  • जब आपके हौसले बुलंद होंगे, तो पहाड़ जैसी विपत्ति और संघर्ष भी मिट्टी के ढेर के समान ही प्रतीत होगा।
  • जब तक मनुष्य कष्ट और कठिनाई के दौर से नही गुजरता, तब तक उसकी प्रतिभा दुनिया के सामने नही आती है।
  • जब पेड़ इतना दयालु हो सकता है कि पत्थर मारने पर फल देता है, तो एक राजा होने के नाते तो मुझे उस पेड़ से भी अधिक दयालु और सबका हितैषी होना चाहिए।
  • जब लक्ष्य जीत का बनाया जाता है, तो उस जीत को हासिल करने के लिए दृढ़ परिश्रम और किसी भी कीमत को चुकाने के लिए हमेशा तैयार रहना चाहिए।
  • जरुरी नही की दुश्मन से लड़कर ही जीत हासिल किया जाए, बल्कि उसे बिना लड़े भी जीत हासिल किया जा सकता है।
  • जो धर्म, सत्य, श्रेष्ठ और परमेश्वर के सामने झुकता है। उसका आदर समस्त संसार करता है।
  • जो मनुष्य अपने बुरे समय में भी अपने कार्यो में लगा रहता है, उसके लिए बुरा समय भी अच्छे समय में बदल जाता है।
  • जो व्यक्ति अपने आत्मबल को जान लेता है। खुद को पहचान लेता है। जो मानव जाति के कल्याण को सोच रखता है। वही व्यक्ति पूरे विश्व पर राज कर सकता है।
  • जो व्यक्ति सिर्फ अपने देश और सत्य के सामने झुकते है। उनका आदर सभी जगह होता है।
  • बदला लेने की भावना मनुष्य को जलाती रहती है। संयम ही प्रतिशोध को काबू करने का एक मात्र उपाय है।
  • भले हर किसी के हाथ में तलवार हो। यह इच्छाशक्ति है, जो एक सत्ता स्थापित करती है।
  • यदि एक पेड़, जो कि इतनी उच्च जीवित सत्ता नहीं है। इतना सहिष्णु और दयालु हो सकता है कि किसी के द्वारा मारे जाने पर भी उसे मीठे आम दे, तो एक राजा होकर, क्या मुझे एक पेड़ से अधिक सहिष्णु और दयालु नहीं होना चाहिए?
  • यद्यपि तलवार तो किसी के भी हाथ में हो सकता है, लेकिन साम्राज्य तो वही स्थापित कर सकता है। जिसमे दृढ़ इच्छाशक्ति होती है।
  • यह जरुरी नही कि खुद गलती करके ही सीखा जाए। दुसरो की गलती से भी बहुत कुछ सीखा जा सकता है।
  • शत्रु चाहे कितना बड़ा और शक्तिशाली क्यों ना हो? उसे सही नियोजन और आत्मबल और उत्साह के जरिए ही हराया जा सकता है।
  • सर्वप्रथम राष्ट्र, फिर गुरु, फिर माता-पिता, फिर परमेश्वर। अतः पहले खुद को नही राष्ट्र को देखना चाहिए।
  • स्वतंत्रता एक ऐसा वरदान है, जिसे पाने का हर कोई अधिकारी है।
  • हमे अपने शत्रु को कभी कमजोर नही समझना चाहिए और अपने से अधिक बलवान समझकर भयभीत भी नही होना चाहिए।
  • अगर मनुष्य के पास आत्मबल है, तो वो समस्त संसार पर अपने हौसले से विजय पताका लहरा सकता है।
  • जरूरी नही कि विपत्ति का सामना, दुश्मन के सम्मुख से ही करने में वीरता हो, वीरता तो विजय में है।
Frequently Asked Questions (FAQs) :-

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