Jyotirao Phule Quotes | ज्योतिराव फुले के अनमोल विचार

नमस्कार दोस्तों, आज हम लेकर आए हैं। एक ऐसे महापुरुष के अनमोल विचार क्रांतिसूर्य महात्मा ज्योतिबा फुले के अनमोल विचार | Mahatma Jyotiba Phule Quotes जिन्होंने देश और समाज में अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से देश और दुनिया को प्रेरित किया और समाज को एक नई दिशा दी। अनेकों कठिनाइयों के बावजुद समाज और देश में फैले कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक माने जाते हैं। तो चलिए आपको इनके विचारों से रूबरू कराते हैं। जिन्हें पढ़कर आप सदा प्रेरणा प्राप्त करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

THIS POST INCLUDES:–

  • महात्मा ज्योतिबाराव फुले संक्षिप्त परिचय
  • महात्मा ज्योतिराव फुले के अनमोल विचार
  • महात्मा ज्योतिराव फुले शायरी इन हिंदी
  • Frequently Asked Questions (FAQS)
  • अन्य संबंधित सुविचार
महात्मा ज्योतिराव फुले संक्षिप्त परिचय
  • जन्म – 11 अप्रैल 1827 खानवाडी, पुणे, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र, भारत)।
  • माता–पिता – गोविन्दराव तथा चिमणाबाई।
  • जीवनसाथी – सावित्रीबाई फुले (विवाह–सन 1840), समाजसेवी, भारत की पहली महिला शिक्षिका।
  • अन्य नाम – महात्मा फुले, ज्योतिबा फुले, ज्योतिराव फुले, क्रांतिसूर्य, ज्योतिराव गोविन्दराव फुले
  • व्यक्तित्व – बुद्धिमान, विद्वान, समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, क्रांतिकारी, समाजसेवी, विज्ञानवादी, शिक्षाविद, लेखक एवं दार्शनिक।
  • शिक्षा – स्कूली शिक्षा मराठी में, 21 वर्ष की उम्र में अंग्रेजी की सातवीं कक्षा उत्तीर्ण।
  • कार्यक्षेत्र – भेदभाव और अन्याय विरोधी, महिला शिक्षा एवम मानव अधिकारों तथा विधवा विवाह के समर्थक।
  • संस्था – 1. बाल विधवा विवाह प्रतिबंधक समाज की स्थापना (सन 1848, पुणे), 2. सत्यशोधक समाज की स्थापना (सितंबर 1873, महाराष्ट्र)।
  • समय अवधि – 19वी सदीं।
  • रूचि – नीतिशास्त्र, धर्म, मानवतावाद।
  • अन्य – माली के कार्य करने के कारण 'फुले' के नाम से प्रसिद्ध।
  • प्रभावित – थॉमस पेन (लेखक)।
  • मृत्यु – 28 नवम्बर 1890 (उम्र 63) पुणे, ब्रिटिश भारत।

महात्मा ज्योतिराव फुले के अनमोल विचार | Mahatma Jyotirao Phule Quotes

  • शिक्षा, ही व्यक्ति और समाज का उत्थान कर सकती है।
  • जो शिक्षा आम आदमी को जीवन संघर्ष के लिए खुद को तैयार करने में मदद नहीं करती। जो चरित्र की ताकत, परोपकार की भावना और शेर की साहस नहीं लाती! क्या वह शिक्षा के लायक हैं?
  • हमारे जीवन में हर दिन नए विचार आते हैं, लेकिन असली संघर्ष उन्हें साकार करने में है।
  • अच्छा काम पूरा करने के, लिए बुरे उपाय से काम नहीं लेना चाहिए।
  • जो ठान लेते हैं, जो लक्ष्य को पाना चाहते हैं। वही धारा के विपरीत तैर सकते हैं।
  • जो सही है, उसके लिए खड़े होकर और यथा स्थिति को चुनौती देकर ही हम स्थायी परिवर्तन ला सकते हैं।
  • विद्या से ही समाज में सुधार हो सकता है और इसलिए शिक्षा के महत्व को सभी को पहचानना चाहिए।
  • जब तक विद्या नहीं होगी, तब तक समाज में उन्नति की संभावना नहीं है।
  • अगर तुम्हें जीवन को बदलना है, तो अपने भीतर जिद पालो, और उस ज़िद को कभी कम मत होने दो।
  • स्त्री शिक्षा, समाज के लिए आवश्यक है। एक स्त्री शिक्षित होकर पूरे समाज को शिक्षित कर सकती है।
  • एक समाज का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि वह अपनी महिलाओं के साथ कैसा व्यवहार करता है? और इस क्षेत्र में हमें बहुत काम करना है।
  • जब आपका लक्ष्य और उद्देश्य निश्चित हो जाता है। तब आप भटकना छोड़ देते हैं।
  • यदि आप मुझसे पूछें कि समाज में वास्तविक ताकत क्या है? तो मैं बिना हिचकिचाहट के कहूंगा, यह दुनिया की शिक्षित और प्रबुद्ध महिलाएं हैं।
  • ज्ञान के बिना, कोई भी व्यक्ति पूर्ण नहीं हो सकता है।
  • सच्ची शिक्षा, दूसरों को सशक्त बनाने और दुनिया को उस दुनिया से थोड़ा बेहतर छोड़ने का प्रतीक है, जो हमने पाया।
  • ज्ञान शक्ति है, लेकिन तभी जब इसका प्रयोग मानवता की भलाई के लिए किया जाता है।
  • आप की सबसे बड़ी कमजोरी है, आत्मविश्वास की कमी। इस आत्मविश्वास की कमी को धीरे-धीरे बढ़ाना होगा। मानता हूं यह इतनी जल्दी संभव नहीं है। किंतु प्रयत्न तो किया जा सकता है।
  • शारीरिक रूप से बेशक आप मजबूत हो। मगर जब तक मानसिक रूप से मजबूत नहीं होंगे। तब तक आप शोषण का शिकार होते रहेंगे।
  • अपनी सोच को बदल कर आप अपनी जिंदगी बेहतर कर सकते हैं। पुरानी सोच का त्याग कर आधुनिक सोच को ग्रहण करो।
  • जिन लोगों को अपनी भाषा और देश से लगाव नहीं हैं। वे बुद्धिमानों द्वारा पागल कहलाते हैं, क्योंकि वे पृथ्वी पर भूतों की तरह चलते हैं।
  • आप इस बात पर विश्वास रखिए। आप जो चाहते हैं, वह हासिल कर सकते हैं।
  • किसी भी लक्ष्य को पाने के लिए योग्यता की आवश्यकता होती है। यह योग्यता ज्ञान तथा विवेक से आती है।
  • सामाजिक न्याय और समानता के लिए संघर्ष करना चाहिए।
  • न्याय के लिए संघर्ष एक दौड़ नहीं हैं। यह एक मैराथन है, लेकिन दृढ़ संकल्प और दृढ़ता और जो हम लड़ रहे हैं। उसकी स्पष्ट दृष्टि के साथ, अंततः हम आखरी एंडिंग लाइन तक पहुंचेंगे।
  • हमारा समाज उन कार्यों को पहले करता है। जो अधिक महत्वपूर्ण नहीं थे। हमें महत्वपूर्ण कार्य को समझ कर प्राथमिकता के साथ समाप्त करना होगा।
  • अगर कोई आपको किसी भी प्रकार का सहयोग देता है, तो उससे कभी भी मुंह मत मोड़िए।
  • यदि आपको मानवता में विश्वास है। यदि आप मानते हैं कि शिक्षा के माध्यम से समाज को बचाया जा सकता है, तो आज ही शुरुआत करें।
  • शिक्षा के बिना कोई सामाजिक सुधार नहीं हो सकता है और सामाजिक सुधार के बिना शिक्षा नहीं हो सकती है।
  • जो लोग ज्ञान प्राप्त करते हैं और उसका अभ्यास नहीं करते। वे उन लोगों के समान हैं। जो हल तो चलाते हैं, परन्तु बोते नहीं।
  • अच्छा काम करने के लिए गलत उपायों का सहारा नहीं लेना चाहिए।
  • कमजोरों पर अत्याचार करने से बड़ा कोई पाप नहीं है, और अयोग्य को शक्ति देने से बड़ी कोई मूर्खता नहीं हैं।
  • जीवन में कभी कभी नकारात्मक विचार हतोत्साहित करते हैं। जिस पर विजय पाना एक गरीब और ईमानदार व्यक्ति भली भांति जानता है।
  • जिंदगी की गाड़ी अकेले दो पहियों पर नही चलती। इसे गति सिर्फ तभी मिलती है। जब मजबूत कड़ियां जुड़ती है।
  • कोई भी सच्चा सुधारक सच्चा शिक्षक बने बिना जीवन में सफल नहीं हो सकता।
  • दो टुकड़ों में तोड़ने के लिए एक वार ही काफी है। ये परस्पर जुड़ाव ही है, जिसके लिए किसी को भारी कीमत चुकानी पड़ती है।
  • आप स्वयं पर विश्वास करें। आप दूसरों से बेहतर कर सकते हैं। यही विश्वास आपके प्रति लोगों का नजरिया बदल सकता है।
  • सत्य को जानने वाला, समाज ही उन्नति कर सकता है। इसलिए हमें सत्यशोधक समाज की आवश्यकता है।
  • एक नेता का कर्तव्य अपने लोगों को सबसे पहले शिक्षित करना है, ताकि वे अपने जीवन की जिम्मेदारी ले सकें, और अपने भविष्य के बारे में उचित निर्णय ले सकें।
  • शिक्षा एक विशेषाधिकार नहीं हैं। यह एक अधिकार है। यह वह कुंजी है, जो अवसर के द्वार खोलती हैं और उज्जवल भविष्य का मार्ग प्रशस्त करती हैं।
  • शिक्षा के बिना समझदारी खो जाती है। समझदारी के बिना नैतिकता खो जाती है। नैतिकता के बिना विकास खो जाती है। धन के बिना हम बर्बाद हो जाते हैं। इसलिए शिक्षा महत्वपूर्ण है।
  • जागो! उठो! और शिक्षित करो। परंपराओं को तोड़ो। आज़ाद करो और स्वयं के लिए प्रकाश बनो।
  • हर दिन नए विचार आते हैं, लेकिन असली संघर्ष उन्हें साकार करना है।
  • शिक्षा के बिना कहीं कोई प्रगति नहीं हो सकती। प्रगति के बिना कोई भी लोकतंत्र सही नहीं हो सकता। लोकतंत्र के बिना शांति नहीं हो सकती। इसलिए शिक्षा सबसे महत्वपूर्ण चीज है।
  • यदि आप एक आदमी को शिक्षित करते हैं, तो आप एक व्यक्ति को शिक्षित करते हैं। लेकिन अगर आप एक महिला को शिक्षित करते हैं तो आप एक परिवार को शिक्षित करते हैं।
  • स्त्री और पुरुष समान हैं।
  • महिला शिक्षा किसी राष्ट्र के उत्थान का प्रमुख साधन है।
  • शिक्षा, स्त्री और पुरुष की प्राथमिक आवश्यकता है।
  • अपनी बेटियों को शिक्षित करें, वे अद्भुत हैं। यदि वे एक घर संभाल सकते हैं, तो वे एक देश भी संभाल सकते हैं।
  • यदि आजादी, समानता, मानवता, आर्थिक न्याय, शोषण रहित मूल्यों और भाईचारे पर आधारित सामाजिक व्यवस्था का निर्माण करना है, तो असमान और शोषक समाज को उखाड़ फेंकना होगा।
  • पराजय और असफलता का डर तुम्हें सभ्य समाज से जुड़ने नहीं देगा। अपने कल्पना शक्ति को मजबूत कर अपना लक्ष्य निर्धारित करो।
  • सच्ची देशभक्ति झंडा लहराने में नहीं है, बल्कि देश को उसके सभी निवासियों के लिए एक बेहतर जगह बनाने की प्रयास में हैं।
  • पृथ्वी पर उपस्थित सभी प्राणियों में मनुष्य श्रेष्ठ है और सभी मनुष्यों में नारी श्रेष्ठ है। स्त्री और पुरुष जन्म से ही स्वतंत्र हैं। इसलिए दोनों को सभी अधिकार समान रूप से भोगने का अवसर प्रदान होना चाहिए।
  • विवाह की उम्र ऐसी होनी चाहिए। जहां दंपत्ति को एक दूसरे पर विश्वास करने की क्षमता विकसित हो जाए। बाल विवाह कुप्रथा का दृश्य है।
  • केवल जाति के आधार पर किसी के गुणों को दबाना उचित नहीं।
  • जाति, गरीबी और अज्ञानता की बुराइयों को मिटाने का एकमात्र तरीका शिक्षा और ज्ञान हैं।
  • शिक्षित समाज ही उचित अनुचित में भेद कर सकता है। समाज में उचित अनुचित का भेद होना चाहिए।
  • अपने मस्तिष्क से, जात-पात ऊंच-नीच आदि चीजों को निकाल फेंकिए। एक ईमानदार, कर्मठ व्यक्ति बनकर अपने मस्तिष्क को केंद्रित रखिए।
  • सभी जीवों के प्रति, दया और करुणा रखनी चाहिए।
  • स्वार्थ अलग अलग रुप धारण करता है। कभी जाति का, तो कभी धर्म का।
  • सभ्य समाज की सच्ची परीक्षा इस बात में है कि वह अपने सबसे कमजोर सदस्यों के साथ कैसा व्यवहार करता है?
  • आर्थिक विषमता के कारण किसानों का जीवन स्तर अस्त–व्यस्त हो गया है।
  • अनपढ़, अशिक्षित जनता को फंसाकर वे अपना उल्लू सीधा करना चाहते हैं और यह वे प्राचीन काल से कर रहें हैं। इसलिए आपको शिक्षा से वंचित रखा जाता है।
  • सामाजिक सुधारकों को अपना ध्यान प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य बनाने पर केंद्रित करना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राष्ट्र के बच्चों को कपड़े पहनाए जाएं। खाना खिलाया जाए और शिक्षित किया जाए।
  • भगवान और भक्त के बीच मध्यस्थता की कोई आवश्यकता नहीं है।
  • सभी धर्मों का सम्मान करना चाहिए।
  • धर्म वह है जो समाज के हित में, समाज के कल्याण के लिए है। जो धर्म समाज के हित में नही है। वह धर्म नही है।
  • प्रत्येक व्यक्ति को अपना धर्म चुनने और बिना किसी भय या पक्षपात के स्वतंत्र रूप से उसका पालन करने का अधिकार होना चाहिए।
  • परमेश्वर एक है और हम सभी मानव उनकी ही संतान हैं। इस बात को कभी न भुलाए कि ईश्वर एक है और वही हम सबका कर्ताधर्ता है।
  • ज्ञान और शक्ति पाने के लिए हमें अपनी जाति, अपने धर्म और अपनी भाषा का मोह त्यागना होगा।
  • जाति या लिंग के आधार पर किसी के साथ भेदभाव करना पाप है।
  • उत्पीड़न की जड़ें हमारी सामाजिक और आर्थिक व्यवस्था के भीतर गहरी हैं। उनके खिलाफ संघर्ष दृढ़ संकल्प और दृढ़ता के साथ किया जाना चाहिए।
  • जाति, समुदाय और धार्मिक सीमाएँ पिंजरे की सलाखें हैं।
  • संसार का निर्माणकर्ता एक पत्थर विशेष या स्थान विशेष तक ही सीमित कैसे हो सकता है?
  • समाज के निम्न वर्ग तब तक बुद्धि, नैतिकता, प्रगति और समृद्धि का विकास नहीं करेंगे। तब तक वे शिक्षित नहीं होंगे।
  • भारत में राष्ट्रीयता की भावना का विकास तब तक संभव नहीं है, जब तक खान–पीन एव वैवाहिक संबंधों पर जातीय भेदभाव बने रहेंगे।
  • इलाज का सर्वोच्च आदर्श सबसे भरोसेमंद और कम से कम हानिकारक तरीके से स्वास्थ्य की त्वरित, सौम्य और स्थायी बहाली है।
  • हर किसी को यह ध्यान रखना चाहिए कि जीवन की चिंगारी भी एक सामाजिक उत्पाद है। जो बच्चा दिन के उजाले में अपनी आँखें खोलता है। वह पहले से ही समाज का सदस्य है।
  • आओ, हम एक दमनकारी व्यवस्था का विरोध करने के लिए एकजुट हों और एक न्यायपूर्ण एवम समतामूलक समाज बनाने के लिए कार्य करें।
  • मेरे लिए युद्ध आनंद का विषय है। युद्ध पूरी तरह से आध्यात्मिक है। इसमें कुछ भी भौतिक क्या सामाजिक नहीं हैं, क्योंकि हमारी लड़ाई किसी शक्ति या धन के लिए नहीं है। मानव व्यक्तित्व के सुधार के लिए एक लड़ाई है। यह स्वतंत्रता के लिए लड़ाई है।

Mahatma Jyotiba Phule Shayari | महात्मा ज्योतिबा फुले शायरी

कुरीतियों और रूढ़िवादी विचारो से की खूब लड़ाई,
ज्योतिबा फुले ने समाज को सत्य की ज्योति दिखाई।

जो नारी की भलाई के लिए
समाज से लड़ जाता है,
मानव सेवा के लिए सब कुछ कर जाता है,
वो एक दिन महात्मा फुले बन जाता है।

महात्मा फुले को घर से निकालकर
अपने भी सजा दिए,
मगर वो गरीबों और लाचारों की मदद करके
समाज को नई दिशा दिए।

ये जो पढ़ रही है और आगे बढ़ रही है औरत,
ज्योतिबा और सावित्री फुले ये है आपकी बदौलत।

Frequently Asked Questions (FAQS)

  • महात्मा ज्योतिराव फुले का जन्म कहां हुआ था?
  • महात्मा ज्योतिराव फुले का जन्म 11 अप्रैल 1827 खानवाडी, पुणे, ब्रिटिश भारत (अब महाराष्ट्र, भारत) में हुआ था।
  • महात्मा ज्योतिराव फुले के माता–पिता का क्या नाम था?
  • महात्मा ज्योतिराव फुले के माता–पिता गोविन्दराव तथा चिमणाबाई था?
  • महात्मा ज्योतिबा फुले का व्यक्तित्व कैसा था?
  • महात्मा ज्योतिबा फुले बुद्धिमान, विद्वान, समाज सुधारक, समाज प्रबोधक, विचारक, क्रांतिकारी, समाजसेवी, विज्ञानवादी, शिक्षाविद, लेखक एवं दार्शनिक थे।
  • भारत की पहली महिला शिक्षिका कौन थी?
  • भारत की पहली महिला शिक्षिका समाजसेवी सावित्रीबाई फुले थी। जिनका विवाह महात्मा ज्योतिराव फुले से सन 1840 में हुआ था।
  • महात्मा ज्योतिराव फुले ने किन संस्थानों का गठन किया था?
  • महात्मा फुले के द्वारा गठित संस्था – 1. बाल विधवा विवाह प्रतिबंधक समाज की स्थापना (सन 1848, पुणे), 2. सत्यशोधक समाज की स्थापना (सितंबर 1873, महाराष्ट्र)।
  • महात्मा ज्योतिराव फुले ने किन क्षेत्रों में काम किया?
  • महात्मा फुले भेदभाव और अन्याय विरोधी, महिला शिक्षा एवम मानव अधिकारों तथा विधवा विवाह के समर्थक थे।
  • महात्मा ज्योतिराव फुले को अन्य किन नामों से जाना जाता है?
  • महात्मा ज्योतिराव फुले को महात्मा फुले, महात्मा ज्योतिबा फुले, ज्योतिराव फुले, क्रांतिसूर्य, ज्योतिराव गोविन्दराव फुले जैसे नाम से जाना जाता है।
  • महात्मा ज्योतिराव फूले किस अत्यधिक प्रभावित थे?
  • महात्मा ज्योतिराव फुले थॉमस पेन (लेखक) से प्रभावित थे।
  • महात्मा ज्योतिराव फुले की मृत्यु कब हुई थी?
  • महात्मा ज्योतिराव फुले की मृत्यु 28 नवम्बर 1890, को 63 वर्ष की में पुणे, ब्रिटिश भारत में हुई थी।

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