नमस्कार दोस्तों, आज हम लेकर आए हैं। एक ऐसे महापुरुष के अनमोल विचार मान्यवर कांशीराम साहब के अनमोल विचार | Manyavar KanshiRam Sahab Quotes in Hindi जिन्होंने देश और समाज में अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से देश और दुनिया को प्रेरित किया और समाज को एक नई दिशा दी। अनेकों कठिनाइयों के बावजुद समाज और देश में फैले कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक माने जाते हैं। तो चलिए आपको इनके विचारों से रूबरू कराते हैं। जिन्हें पढ़कर आप सदा प्रेरणा प्राप्त करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
THIS POST INCLUDES:–
- मान्यवर कांशीराम साहब – संक्षिप्त परिचय
- मान्यवर कांशीराम साहब के अनमोल विचार | Manyavar KanshiRam Sahab Quotes in Hindi
- Frequently Asked Questions (FAQS)
- ये भी पढ़ें – अन्य संबंधित सुविचार
मान्यवर कांशीराम साहब – संक्षिप्त परिचय
- जन्म -15 मार्च 1934, पिरथीपुर बुंगा गाँव, खवासपुर, रोपड़ जिले (रुपनगर) के पास रोरापुर, पंजाब, ब्रिटिश भारत
- माता-पिता - बिशन कौर और हरी सिंह
- भाई-बहन – 2 भाई- 4 बहन
- विवाह - अविवाहित
- निर्वाण (मोक्ष/निधन) - 9 अक्टूबर 2006 भारत
- शिक्षा - बीएससी (1956) गवर्नमेंट कॉलेज रोपड़
- नारा - वोट हमारा - राज तुम्हारा। नहीं चलेगा - नहीं चलेगा।
- पेशा - वैज्ञानिक, राजनेता, सामजिक कार्यकर्ता, बहुजन चिन्तक, लोकसभा के सदस्य - 1992 में इटावा, उत्तरप्रदेश (प्रथम)।, 1996 में होशियारपुर पंजाब (दूसरी), 1998 में उत्तर प्रदेश से राज्यसभा सांसद
- संस्था/राजनीतिक संबद्धता - रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) पुणे में सहायक वैज्ञानिक, अखिल भारतीय पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों कर्मचारी महासंघ-1971 (बामसेफ- (बेकवार्ड एंड माइनॉरिटी कम्युनिटीस एम्प्लोई फेडरेशन), BAMCEF के पहले कार्यरत कार्यालय की स्थापना(दिल्ली)-1976, 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना, दलित शोषित संघर्ष समिति (डीएसएसएसएस) - 1971
- पत्र-पत्रिकाएं - अनातचा मंडल इंडिया (अंग्रेजी), बामसेफ कहानियां (अंग्रेजी), एक्सप्रेस इंडियन (अंग्रेजी), बहुजन संगठन (हिंदी), बहुजन नायक (मराठी एवं बांग्ला), श्रमिक साहित्य, शोषित साहित्य, दलित आर्थिक, इकोनोमिक अपमार्ज (अंग्रेजी), बहुजन टाइम्स दैनिक, बहुजन एकता।
- विशेष - जन्मस्थान पिरथीपुर बुंगा साहिब में उनकी प्रतिमा के साथ एक स्मारक। लखनऊ में मान्यवर श्री कांशीराम जी ग्रीन इको गार्डन, बायोपिक फिल्म द ग्रेट लीडर कांशीराम निर्देशन और निर्माण अर्जुन सिंह (2017), कांशीराम अन्तर्राष्ट्रीय खेल कूद पुरस्कार (10 लाख), कांशीराम कला रत्न पुरस्कार (5 लाख) और कांशीराम भाषा रत्न सम्मान (2.5 लाख), कांशीराम नगर (उत्तर प्रदेश-नामकरण 15 अप्रैल 2008)।
- धर्म - बौद्ध धर्म
- निधन - अंतिम संस्कार बौद्ध परंपरा के अनुसार सुश्री मायावती ने चिता को अग्नि दी।
- उतराधिकारी - सुश्री मायावती बहुजन समाज पार्टी (बसपा)।
मान्यवर कांशीराम साहब के अनमोल विचार | Manyavar KanshiRam Sahab Quotes in Hindi
- राजनीति चले या ना चले। सरकार बने या न बने। सामाजिक परिवर्तन की गति, किसी भी कीमत पर रुकनी नही चाहिए।
- जब तक हम राजनीति में सफल नहीं होंगे, और हमारे हाथों में शक्ति नहीं होगी। तब तक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन संभव नहीं है। राजनीतिक शक्ति, सफलता की कुंजी है।
- जिनको जवानी में चमचागिरी की लत लग जाती है। उनकी सारी उम्र दलाली में निकल जाती है।
- जब तक सामाजिक परिवर्तन नहीं होता है। तब तक सामाजिक न्याय का नारा एक धोखा है। एक फरेब है। लोगों के वोट हथियाने का, लूटने का एक ढंग है।
- मतदान का अधिकार, हमें बिकने के लिए नहीं, बल्कि गुलामी से बाहर निकलने के लिए मिला है।
- हम तब तक नहीं रुकेंगे। जब तक हम व्यवस्था के पीड़ितों को एकजुट नहीं करेंगे, और हमारे देश में असमानता की भावना को खत्म नहीं करेंगे।
- कभी किसी व्यक्ति के पीछे नहीं भागना चाहिए। विचारधारा का अनुसरण करना चाहिए। व्यक्ति भाग सकता है। विचारधारा नहीं।
- अगर तमन्ना सच्ची हो,तो रास्ते निकल आते हैं। अगर तमन्ना झूठी हो, तो बढ़िया से बढ़िया बहाने भी मिल जाते हैं।
- हमारा संघर्ष सिर्फ सत्ता पाने का नहीं है, बल्कि समाज में सम्मान और समानता स्थापित करने का है।
- सत्ता पाने के लिए जन आंदोलन की जरूरत होती है। उस जन आंदोलन को वोटों में परिवर्तित करना, फिर वोटों को सीटों में बदलना, सीटों को सत्ता में परिवर्तित करना और अंतिम रूप से सत्ता केंद्र में परिवर्तित करना। यह हमारे लिए मिशन और लक्ष्य है।
- मुर्दा लोग मिशन में भाग नहीं देते और जिंदा लोग मिशन को रुकने नहीं देते।
- मैं बाबा साहब की केवल एक किताब पढ़ कर पागल हो गया और घर बार छोड़कर बाबा साहेब के मिशन को पूरा करने में लग गया। पता नहीं! यह कैसे अंबेडकरवादी हैं? जो बाबा साहेब की, इतनी किताबें पढ़कर और उनके विचारों को सुनकर भी टस से मस नहीं होते।
- सिर्फ प्राण निकलने पर ही मौत नहीं होती। बल्कि वो भी मरे हुए हैं। जो अपने हक-अधिकार खामोशी से खत्म होते हुए देखते हैं।
- जगाया उसे जाता है, जो जिंदा होते हैं। मुर्दों को तो जलाया और दफनाया जाता है।
- हमें महलों में रहने और जीवन की सभी सुख-सुविधाएं प्राप्त करने का प्रयास करना चाहिए। शोषित समाज को झोपड़ी से मोह नहीं रखना चाहिए। हमें शक्तिशाली बनना चाहिए और इंसानों की तरह जीने का प्रयास करना चाहिए।
- मांगने से भीख मिलता हैं। रोटी मिल सकती हैं। कपड़ा मिल सकता हैं। लेकिन मांगने से राजपाट नहीं मिल सकता। राजपाट हासिल करने के लिए हमें शक्ति बनानी होगी । उस शक्ति का इस्तेमाल करके हमें इस देश व प्रदेश का राजपाट हासिल करना होगा।
- बगैर संघर्ष के ना कुछ बना है, और ना कुछ बनने वाला है। संघर्ष के लिए हमारी कोई सराहना नहीं करेगा, और ना ही हमें कोई इजाजत देगा। बल्कि संघर्ष करने से रोकने की हर प्रकार की कोशिश होगी।
- मैं नहीं चाहता कि आप कठपुतली बने रहें, और प्रमुख वर्गों के पीछे उनकी पूंछ बनकर चलें।
- अगर जिंदगी में हम पीछे रह गए, तो इसके पहले दोषी हम खुद हैं। कोई दूसरा, बाद में।
- जब प्रकृति आराम नहीं करती, तो मुझे क्यों करना चाहिए। मुझे तो मरने के बाद आराम करना है।
- राजनीति समाज का आईना है, इसे बदलने की जरूरत है।
- हमारा शोषित समाज, कंगालों की तरह जीने का आदी हो गया है। हमें जो कुछ भी मिला है और जिस भी तरह से मिला है। हम उससे खुश हैं। हमें इस आदत को छोड़कर अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक होना चाहिए।
- जिन लोगों की शासन-प्रशासन में भागीदारी नहीं होती है। वह जिंदगी के हर पहलू में बिछड़कर रह जाते हैं, क्योंकि शासन और प्रशासन हुकूमत के दो अंग हैं । जिनका हुकूमत में हिस्सा नहीं होता है, वह जिंदगी के दूसरे पहलू में भी अपना हक हासिल नहीं कर सकते है।
- देश के जो हुक्मरान हैं, उनके ऊपर कोई अन्याय-अत्याचार नहीं होता है। इसलिए बहुजन समाज अपने वोटों का सही इस्तेमाल करके इस देश का व प्रदेशों का हुक्मरान बनकर अपने ऊपर हो रहे अन्याय-अत्याचार का सही हल ढूंढ सकता है।
- इस देश की हुकूमत को अपने हाथ में लेना है। जुल्म ज्यादती हुक्मरान के साथ नहीं होती है। जिन लोगों को हुकूमत में हिस्सा होता है। उनके साथ जुल्म ज्यादती नहीं होती।
- जब आप अपनी मंजिल के लिए आगे बढ़ते हैं, तो आपके रास्ते में तीन रुकावटें आएंगी। मनी, मीडिया, माफिया। अगर आप इन तीनों रुकावटओं से, बचते-बचते अपनी मंजिल की तरफ बढ़ते गए, तो आपको जीतने से कोई नहीं रोक सकता।
- हमारा उद्देश्य समाज को 6743 जातियों में बांटना नहीं, जो हमारा समाज 6743 जातियों में बटा हुआ है। उनको एक करना होना चाहिए।
- बहुत लंबे समय से, हम सिस्टम के दरवाजे खटखटा रहे हैं। न्याय मांग रहे हैं और न्याय नहीं पा रहे हैं। इसलिए इन हथकड़ियों को तोड़ने का समय आ गया है।
- बहुजन समाज इस देश का हुक्मरान बने। हुक्मरान को सबसे हित का सोचना चाहिए। इसलिए हमें बहुजन के साथ, सर्वजन का भी हित सोचना होगा। सबके लिए इंसाफ की बात करनी होगी
- अधिकारों को जब्त किया जाना चाहिए। अनुरोध नहीं किया ना चाहिए। अनुरोध केवल भीख के रूप में दिए जाते हैं। अपने अधिकारों के लिए लड़ने वाले सभी लोगों को मैंने अपना माना।
- देने वाले समाज में लाल पैदा होता है, और मांगने वाले समाज में दलाल पैदा होता है।
- हमारी ताकत हमारे संगठन में है, और संगठन ही हमें हमारी मंजिल तक ले जाएगा।
- जिस समाज में समानता नहीं, वह समाज जीवित नहीं रह सकता।
- राजनीति सत्ता के लिए होती है, और सत्ता बिना संघर्ष के नहीं मिलती।
- नोटों की शक्ति से, हमारे वोटों की चोरी ना हो सके, तो फिर सरकार वोटों वाली की बनेगी। वोटों की हमारे पास कोई कमी नहीं हैं। बहुजन समाज के पास नोटों की कमी हैं, लेकिन वोटों की कमी नहीं है।
- बेटी और वोट को बेचा नहीं जाता। बल्कि इज्जतदार व्यक्ति को सौंपा जाता है।
- जो कौम शासक नहीं होती, उनकी बहन बेटियां कभी सुरक्षित नहीं होती।
- मैं बहुजन समाज से, इतने नेता तैयार कर दूंगा कि ये खरीदते-खरीदते थक जाएंगे।
- मैं एक देहाती आदमी हूं, और जैसे एक देहाती आदमी दही को मथकर मक्खन निकालता है। वैसे ही मैं भी समाज को मथता हूं।
- जो समाज अपने अधिकारों के लिए संघर्ष नहीं करता, वह कभी स्वतंत्र नहीं हो सकता।
- हमारा अंतिम लक्ष्य भारत में शासन करना है।
- अपना हक मांगने से नहीं, उसे छीनने से मिलता है।
- वोट हमारा राज तुम्हारा, नहीं चलेगा-नहीं चलेगा।
- वोट से लेंगे सीएम-पीएम। आरक्षण से लेंगे एसपी-डीएम।
- संगठन शक्ति है, और शक्ति ही परिवर्तन लाती है।
- मेरा फटा हुआ कलेजा, उस दिन सिला होगा। जिस दिन मेरा समाज, सत्ता पर काबिज होगा।
- जिस समुदाय का राजनीतिक व्यवस्था में प्रतिनिधित्व नहीं है, वह समुदाय मर चुका हैं।
- शिक्षा ही एक ऐसा हथियार है, जो समाज में परिवर्तन ला सकता है।
- असली ताकत दिखने वाले कमरे में नहीं, बल्कि लिखने वाली स्याही में है।
- किसी भी मूवमेंट को, कामयाबी से चलाने के लिए केवल यह बात कि इसे कैसे चलाया जाना चाहिए? यह जानना जरूरी नहीं है। बल्कि उसे कैसे नहीं चलाया जाना चाहिए? यह जानना भी बहुत जरूरी है।
- हमारे लोग ऐसे बहानेबाज हैं, कि सामाजिक कार्य के लिए सर्दी में सिकुड़ जाते हैं। गर्मी में पिघल जाते हैं, और बारिश में बह जाते हैं।
- जो समाज दूसरों पर निर्भर करता है। वह कभी स्वतंत्र नहीं हो सकता।
- हम जुल्म नहीं सहेंगे, जुल्म करने वालों का दुस्साहस तोड़ देंगे।
- अपने अधिकारों को पहचानो, और उनके लिए संघर्ष करो।
- शिक्षा, संगठन और संघर्ष - यही हमारी सफलता की कुंजी है।
- मुझे ऐसे लोगों की जरुरत नहीं है। जो छांव की तलाश में रहे, और जिसे अपने पेट की चिंता हो।हमें भारत में आज़ादी लानी है। इसलिए सामाजिक प्रबोधन और वैचारिक क्रांति की जरुरत है। जो सम्मान और अपमान की परवाह न करते हुए, अखंड क्रियाशील रहेगा। वही समाज में परिवर्तन ला सकता है।
- अगर तुम्हें अपना भविष्य बदलना है, तो तुम्हें अपने आज से शुरुआत करनी होगी।
- हमेशा सोचो, कि तुम क्या कर सकते हो? यह मत सोचो, कि तुम्हारे लिए क्या किया गया?
- हम आर्थिक दिशा में, सामाजिक दिशा में, और जिंदगी के हर पहलू में परिवर्तन लाना चाहते हैं।
- हमारा लक्ष्य है, कि समाज के सबसे कमजोर व्यक्ति को सबसे ज्यादा ताकत मिले।
- जो सोया हुआ है उसे जगाओ, और जो जाग चुका है उसे संगठित करो।
- अपनी तैयारी पर ही हमे संसद में जाना है।
- संघर्ष कभी व्यर्थ नहीं जाता, वह हमेशा बदलाव की नींव रखता है।
- हम सत्ता के भूखे नहीं हैं, हम समाज को बदलने आए हैं।
- तुम सब बेकार हो। आप प्रतिनिधित्व चाहते हैं। मैं तुम्हारी निकम्मापन दूर कर दूँगा। मैं तुम्हें योग्य बनाऊंगा।
- अभी हम लोग इस देश में डेमोक्रेसी की बात करते हैं कि इंडिया की डेमोक्रेसी दुनिया की सबसे बड़ी डेमोक्रेसी हैं। मेरा विश्वास है कि इस देश में कोई डेमोक्रेसी नहीं है। जिस देश में गरीबों के वोटों को खरीदा जाए। लूटा जाए। चोरी किया जाए। तो उस देश में डेमोक्रेसी नहीं चल सकती है।
- सामाजिक न्याय की बात करने वाले लोग जब सामाजिक अन्याय करते हैं। तो हमें ऐसा लगता है कि इस देश में जब ऐसे लोग सरकार चलाएंगे, तो गुंडागर्दी नहीं रुक सकती है।
- हमारे ऊपर अन्याय करने वाला और हमको न्याय देने वाला एक ही है। हमें यह व्यवस्था बदलनी है।
- इतिहास ने हमें सिखाया था, कि अशोक और हर्षवर्धन बौद्ध धर्म को केवल इसलिए आगे बढ़ा सके। क्योंकि वे राजा थे,और इसलिए दलितों को पहले शासक बनना पड़ा।
- हमारी संघर्ष (लड़ाई) व्यक्तिगत नहीं, सामाजिक है।
- अपनी कमजोरी को, अपनी ताकत में बदलो।
- मैं पढ़े लिखे लोगों को पढ़ाता हूँ। बस यही मेरी योग्यता हैं।
- मेरे सपनों का भारत 'सम्राट अशोक का भारत' इसे पूरा करने में आप मेरा साथ दोगे।
- अच्छा नेता वही है जो अपने समाज के हर व्यक्ति की भलाई के बारे में सोचे।
- कल को, मैं बिक भी सकता हूं। इसलिए आपके दिल में कांशीराम कम और हाथी ज्यादा होना चाहिए।
- माँ, इन किताबों में देश की सत्ता के दरवाजे की चाबी है। मैं चाबियाँ ढूँढ रहा हूँ।
- हर इंसान को समान अधिकार मिलना चाहिए। चाहे उसका धर्म या जाति कुछ भी हो।
- मैंने अम्बेडकर के अनुभवों के बारे में उनकी पुस्तकों से सीखा है। मैंने उन्हें अपनी डायरी में नोट किया है। मैंने हमेशा उनके कड़वे अनुभवों से सीखने की कोशिश की है।
- अम्बेडकर ने किताबें इकट्ठी कीं। मैंने लोगों को इकट्ठा किया।
- जो लोग तुम्हारे हाथ का छुआ पानी तक नहीं पीते। वह तुम्हारा वोट लेकर संसद में तुम्हारे हक के लिए क्या खाक लड़ेंगे?
- जब तक जाति है। मैं इसे अपने समुदाय के लाभ के लिए उपयोग करूंगा। यदि आपको कोई समस्या है, तो जाति व्यवस्था समाप्त करें।
- जाति व्यवस्था को समाप्त करना ही असली क्रांति है।
- जातियां हमने नहीं बनाई, हम पर लादी गई हैं। हम तो इनसे छुटकारा पाना चाहते हैं। क्योंकि हम जाति व्यवस्था के शिकार हैं।
- सामान्य जातियां पार्टी में शामिल हो सकती हैं, लेकिन नेतृत्व दलितों के हाथ में रहेगा।
- सामान्य जातियां हमसे पूछती हैं, कि हम उन्हें पार्टी में क्यों नहीं लेते। लेकिन मैं उनसे कहता हूं, कि आप बाकी सभी पार्टियों का नेतृत्व कर रहे हैं। यदि आप हमारी पार्टी में शामिल होते हैं, तो आप परिवर्तन को रोक देंगे।
- बहुजन समाज पार्टी बनाना आसान है, लेकिन बहुजन समाज बनाना कठिन कार्य है। साथ ही उनको टिकाए रखना, और भी कठिन कार्य है।
- बहुजन हिताय बहुजन सुखाय
Frequently Asked Questions (FAQS)
- मान्यवर कांशीराम का जन्म कहां हुआ था?
- इनका जन्म 15 मार्च 1934 में रोरापुर, पंजाब, ब्रिटिश भारत में हुआ था।
- मान्यवर कांशीराम ने बहुजनों के लिए क्या कार्य किए?
- वे भारतीय राजनीतिज्ञ और समाज सुधारक थे। उन्होंने बहुजनों के राजनीतिक एकीकरण तथा उत्थान के लिए कार्य किया।
- मान्यवर कांशीराम ने किन संगठनों की स्थापना की?
- इन्होने अखिल भारतीय पिछड़ा और अल्पसंख्यक समुदायों कर्मचारी महासंघ (बामसेफ) 1978 मे, दलित शोषित संघर्ष समिति (डीएसएसएसएस-DSSS या DS4)) 1981 में और 1984 में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की स्थापना की। भारतीय एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यक कर्मचारी संघ की स्थापना की जो कि बाद में चलकर 1978 में BAMCEF बन गया था।
- मान्यवर कांशीराम ने कौन - सी किताब लिखी?
- सन 1982 में उन्होंने अपनी पुस्तक 'द चमचा युग (The Era of the Stooges)' लिखी।
- मान्यवर कांशीराम ने अपना पहला चुनाव कहां से लड़ा था।
- उन्होंने अपना पहला चुनाव 1984 में छत्तीसगढ़ की जांजगीर-चांपा सीट से लड़ा था। 1991में इटावा, उत्तरप्रदेश से पहली बार लोकसभा चुनाव जीता।
- मान्यवर कांशीराम का निधन कब हुआ था?
- इनका 9 अक्टूबर 2006 को 72 वर्ष की आयु में दिल का दौरा पड़ने से नई दिल्ली में उनका निधन हो गया। सन 2002 में, कांशीराम जी ने 14 अक्टूबर 2006 को डॉक्टर अम्बेडकर के धर्म परिवर्तन की 50 वीं वर्षगांठ के मौके पर बौद्ध धर्म ग्रहण करने की अपनी मंशा की घोषणा की थी। लेकिन 9 अक्टूबर 2006 को उनका निधन हो गया और उनकी बौद्ध धर्म ग्रहण करने की मंशा अधूरी रह गयी।
- मान्यवर कांशीराम की जीवनी किसने लिखी है?
- उनकी जीवनी, "कांशीराम: लीडर ऑफ द दलित्स" बद्री नारायण तिवारी द्वारा लिखी गई थी।मान्यवर कांशीराम के सम्मान मे कौन सा पुरस्कार प्रदान किया जाता है?
- इनके सम्मान मे मान्यवर कांशीराम साहब पुरस्कार (कांशीराम पुरस्कार) कहा जाता है, एक प्रतिष्ठित पुरस्कार है, जो भारत में सामाजिक न्याय और समानता के क्षेत्र में उत्कृष्ट योगदान के लिए बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के संस्थापक मान्यवर कांशीराम की स्मृति में उन व्यक्तियों या संगठनों को प्रदान किया जाता है। जिन्होंने दलितों, पिछड़ों और अन्य वंचित समुदायों के अधिकारों, सामाजिक न्याय, समानता, और सशक्तिकरण के क्षेत्र में काम किया है। एक प्रशस्ति पत्र, एक स्मृति चिन्ह और नकद राशि शामिल होती है।
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