रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार | Rabindranath Tagore Quotes in Hindi

नमस्कार दोस्तों, आज हम लेकर आए हैं। एक ऐसे महापुरुष के अनमोल विचार रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार | Rabindranath Tagore Quotes in Hindi जिन्होंने देश और समाज में अपने विचारों और कार्यों के माध्यम से देश और दुनिया को प्रेरित किया और समाज को एक नई दिशा दी। अनेकों कठिनाइयों के बावजुद समाज और देश में फैले कुरीतियों को दूर करने के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। इनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक माने जाते हैं। तो चलिए आपको इनके विचारों से रूबरू कराते हैं। जिन्हें पढ़कर आप सदा प्रेरणा प्राप्त करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।

THIS POST INCLUDES:–

  • रबीन्द्रनाथ टैगोर– संक्षिप्त परिचय
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार | Ravindra Tagore Quotes in Hindi
  • Frequently Asked Questions (FAQS)
  • ये भी पढ़ें : अन्य संबंधित सुविचार 

रबीन्द्रनाथ टैगोर  – संक्षिप्त परिचय
रबीन्द्रनाथ टैगोर के अनमोल विचार | Rabindranath Tagore Quotes in Hindi
  1. जब तक मैं जिंदा हूं, मानवता के ऊपर देशभक्ति की जीत नहीं होने दूंगा।
  2. मिट्टी से मुक्त हो जाना, पेड़ के लिए आजादी नही होती।
  3. प्रसन्न रहना बहुत सरल है, लेकिन सरल होना बहुत कठिन है
  4. यदि आप गलतियों के लिए अपने दरवाजे बंद करते हैं, तो सत्य अपने आप बाहर आ जायेगा।
  5. सिर्फ तर्क करने वाला दिमाग एक ऐसे चाक़ू की तरह है, जिसमें सिर्फ ब्लेड है। यह इसका प्रयोग करने वाले को घायल कर देता है।
  6. फूल को तोड़कर, आप उनकी खूबसूरती को इक्कठा नही कर सकते।
  7. यदि आप सभी त्रुटियों के लिए दरवाजा बंद करते हैं, तो सच्चाई बंद हो जाएगी
  8. जो दूसरो की भलाई के लिए हमेशा व्यस्त रहते हैं, वे अक्सर अपने लिए समय नही निकाल पाते हैं।
  9. बादल मेरे जीवन में तैरते हुए आते हैं, अब बारिश या अश्रु तूफान को ले जाने के लिए नहीं, बल्कि मेरे सूर्यास्त आकाश में रंग जोड़ने के लिए
  10. उच्च शिक्षा के जरिये सिर्फ जानकारी ही नही प्राप्त कर सकते है। बल्कि जीवन कैसे आसान हो और कैसे सफल बने? इसका मार्ग प्रशस्त्र करती है।
  11. संगीत दो आत्माओं के बीच आनन्द भरता है।
  12. कर्म करते हुए हमेसा आगे बढ़ते रहिये और फल के लिए व्यर्थ चिंता नही करिए और किया हुआ परिश्रम कभी व्यर्थ नही जाता है।
  13. कलाकार प्रकृति का प्रेमी है अत: वह उसका दास भी है और स्वामी भी.
  14. हमें आजादी तभी मिलती है, जब हम इसकी कीमत चुका देते हैं।
  15. मैंने स्वप्न देखा कि जीवन आनंद है। मैं जागा और पाया कि जीवन सेवा है। मैंने सेवा की और पाया कि सेवा में ही आनंद है।
  16. प्रसन्न रहना सरल है,  लेकिन सरल रहना यह बहुत ही कठिन है।
  17. खड़े होकर सिर्फ समुद्र के पानी को देखने से आप समुद्र पार नही करते हैं। इसके लिए हमें खुद को आगे बढ़ाना है।
  18. जीवन की चुनौतियों से बचने की बजाए, उनका निडर होकर सामना करने की हिम्मत मिले! इसकी प्रार्थना करनी चाहिए।
  19. मनुष्य की सेवा भी ईश्वर की सेवा है।
  20. जिस तरह घोंसला, सोती हुई चिड़िया को आश्रय देता है। उसी तरह मौन, तुम्हारी वाणी को आश्रय देता है।
  21. तथ्य अनेक हो सकते हैं, लेकिन सच्चाई हमेशा एक ही होती है।
  22. यह मत कहो, यह सुबह है, और इसे कल के नाम के साथ खारिज कर दें। इसे पहली बार एक नवजात बच्चे के रूप में देखें जिसका कोई नाम नहीं है।
  23. कला के जरिए, व्यक्ति खुद की पहचान उजागर करता है, वस्तुओं की नहीं।
  24. प्रेम, एकमात्र वास्तविकता है और यह केवल भावना नहीं है। यह अंतिम सत्य है, जो सृष्टि के केंद्र में है।
  25. आस्था वह पक्षी है, जो अँधेरे में भी उजाले की शक्ति महसूस करती है।
  26. उच्चतम शिक्षा, वह है जो हमें केवल जानकारी नहीं देती! बल्कि हमारे जीवन को सभी अस्तित्व के साथ सामंजस्य बिठाती है।
  27. मित्रता की गहराई, सिर्फ उसके परिचय पर निर्भर नही करती है।
  28. अपने जीवन को, पत्ते की नोंक पर ओस की तरह समय के किनारों पर हल्के से नाचने दें।
  29. फूल, भले ही अकेला होता है! लेकिन काँटों से कभी भी इर्ष्या नही करता।
  30. ऊंचाई तक पहुंचें, क्योंकि सितारे आपमें छिपे हैं। गहरे सपने देखो, क्योंकि हर सपना लक्ष्य से पहले आता है।
  31. हम दुनिया में तभी जीते हैं, जब दुनिया से प्रेम करते हैं।
  32. सबसे उत्तम बदला, क्षमा होता है।
  33. जब खुद पर हँसता हूँ, तो मेरे ऊपर का बोझ कम हो जाता है।
  34. सौंदर्य, सच्चाई की मुस्कान है! जब वह एक आदर्श दर्पण में अपना चेहरा निहारती है।
  35. यदि आप कठिनाई से मुँह मोडकर भागते हैं, तो यही स्वप्न बनकर आपके नींद में बाधा डालती है।
  36. प्रेम एक अंतहीन रहस्य है, क्योंकि यह समझाने के सिवा और कुछ नहीं है।
  37. किसी बच्चे की शिक्षा, सिर्फ अपने समय तक मत रखिये! क्योंकि उसका जन्मकाल और आपका जन्मकाल दोनों में बहुत अन्तर है।
  38. वह सब कुछ हमारे पास आता है, जिसे हम प्राप्त करने की क्षमता रखते हैं।
  39. तितली महीने नही, बल्कि प्रति क्षण की गिनती करती है। जिसके कारण उसके पास पर्याप्त समय होता है।
  40.  कला क्या है? यह मनुष्य की रचनात्मक आत्मा की प्रतिक्रिया है। 
  41. हम महानता के, सबसे नजदीक तब होते है। जब हम विनम्र होते हैं।
  42. मौत प्रकाश को खत्म नही करता, बल्कि यह दिखलाता है। सुबह हो गयी है! अब दीपक बुझाना है।
  43. प्रेम का स्वप्न आने के बाद भी आप की नींद नही खुलती, तो आपका जीवन धिक्कार है।
  44. जो पत्तियों से वृक्ष लदा होता है, उसमें फल मुश्किल से ही आते है
  45. प्रेम कभी भी अधिकार नही जताता है, बल्कि यह जीने की स्वतंत्रता देता है
  46. संगीत, दो आत्माओं के बीच की दुरी को खत्म कर देता है।
  47. उपदेश देना तो बहुत आसान है, लेकिन उपाय बताना बहुत ही कठिन।
  48. जो कुछ भी हमारा होता है, वह हमारे पास जरुर आता है, क्योंकि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं।
  49. जो मन की पीड़ा को दुसरो से नही बता पाते, उन्हें ही गुस्सा सबसे अधिक आता है।
  50. जिस तरह घोसला सोते हुए पक्षी को आश्रय देता है।ठीक उसी तरह मौन हमारी वाणी को आश्रय देता है।
  51. विद्यालय वह कारखाने हैं, जिनमें महापुरुषों का निर्माण होता है। जिनमें अध्यापक कारीगर होते है।
  52. बर्तन में रखा पानी चमकता है। जबकि समुद्र का पानी अस्पष्ट होता है यानी छोटे सत्य तो आसानी से बताए जा सकते है। जबकि महान सदैव मौन ही रहता है।
  53. ईश्वर भले ही बड़े बड़े साम्राज्य से ऊब जाता है, लेकिन छोटे छोटे फूलों से कभी रुष्ट नही होता है।
  54. धूल अपना अपमान सहने की क्षमता रखती है और बदले में फूलों का उपहार देती है।
  55. यदि हमारे अन्दर प्रेम नही हो, तो यह दुनिया हमें कारागार ही लगती है।
  56. आयु सोचती है, जवानी करती है।
  57. पंखुडियां तोड़ कर, आप फूल की खूबसूरती नहीं इकठ्ठा करते।
  58. मिटटी के बंधन से, मुक्ति पेड़ के लिए आज़ादी नहीं है
  59. जो कुछ हमारा है, वो हम तक आता है। यदि हम उसे ग्रहण करने की क्षमता रखते हैं।
  60. मौत प्रकाश को ख़त्म करना नहीं है। ये सिर्फ दीपक को बुझाना है! क्योंकि सुबह हो गयी है।
  61. मित्रता की गहराई, परिचय की लम्बाई पर निर्भर नहीं करती।
  62. जो कुछ हमारा है, वो हम तक तभी पहुंचता है। जब हम उसे ग्रहण करने की क्षमता विकसित करते हैं।
  63. वे लोग, जो अच्छाई करने में बहुत ज्यादा व्यस्त होते है। स्वयं अच्छा होने के लिए समय नहीं निकाल पाते।
  64. हम हमेशा यह प्रार्थना ना करें कि हमारे ऊपर कभी भी किसी प्रकार की कोई बाधा या दिक्कत आए बल्कि हमे ईश्वर से यही प्रार्थना करें कि हम उन दुखों का निडरता से उनका सामना करें।
  65. प्रत्येक शिशु, जन्म लेकर यही संदेश लेकर आता है कि ईश्वर अभी भी मनुष्यों से निराश नही हुआ है।
  66. मूर्ति का टूटकर, धूल में मिल जाना! यह दिखलाता है ईश्वर के धूल की कीमत आपके मूर्ति से कही अधिक है।
  67. पृथ्वी द्वारा, स्वर्ग से बातचीत करने का माध्यम होते हैं, ये पेड़।
  68. जीवन हमें ईश्वर द्वारा दिया गया है, जिसे हम कमाते हैं।
  69. ईश्वर बड़े-बड़े साम्राज्यों से ऊब जाता है, छोटे छोटे पुरुषों से कभी रुष्ट नहीं होता

Frequently Asked Questions (FAQS)

  • रबीन्द्रनाथ टैगोर का जन्म कहां हुआ था?
  • इनका 7 मई, 1861 को जोरासांको ठाकुर बाड़ी , बंगाल प्रेसीडेंसी, कोलकाता, भारत में जन्म कहां हुआ था
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर ने किन पुस्तकों की रचना की ?
  • इन्होने गीतांजलि (साहित्य नोबल पुरस्कार), पूरबी प्रवाहिन, शिशु भोलानाथ, महुआ, वनवाणी, परिशेष, पुनश्च, वीथिका शेषलेखा, चोखेरबाली, कणिका, नैवेद्य मायेर खेला, क्षणिका, गीतिमाल्य, कथा ओ कहानी जैसी पुस्तकों की रचना की
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर की मुख्य उपलब्धियां क्या हैं ?
  • इन्होंने शांतिनिकेतन में विश्वभारती विश्वविद्यालय की स्थापना, भारत का राष्ट्र-गान 'जन गण मन' और बाँग्लादेश का राष्ट्रीय गान 'आमार सोनार बांङ्ला' के रचियता हैं।
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर को कौन सा पुरस्कार प्रदान किया जाता है?
  • भारतीय साहित्य के एकमात्र नोबेल पुरस्कार विजेता हैं। 1913 में साहित्य में नोबेल पुरस्कार मिला, जिससे वे यह प्रतिष्ठित पुरस्कार पाने वाले पहले गैर-यूरोपीय व्यक्ति बन गए। 1915 ई. में उन्हें राजा जॉर्ज पंचम ने नाइटहुड की पदवी से सम्मानित किया था। 1919 ई. में जलियाँवाला बाग हत्याकांड के विरोध में उन्होंने यह उपाधि लौटा दी थी।
  • रबीन्द्रनाथ टैगोर  का निधन कब हुआ था?
  • इनका  7 अगस्त 1941 को कोलकाता में उनकी मृत्यु हो गई।
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