नमस्कार दोस्तों, आज हम लेकर आए हैं। एक ऐसे महापुरुष के अनमोल विचार Lal Bahadur Shastri Quotes in Hindi - लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार। इनके विचार आज भी उतने ही प्रासंगिक माने जाते हैं। तो चलिए आपको इनके विचारों से रूबरू कराते हैं। जिन्हें पढ़कर आप सदा प्रेरणा प्राप्त करेंगे। तो चलिए शुरू करते हैं।
THIS POST INCLUDES:–
- लाल बहादुर शास्त्री संक्षिप्त परिचय
- लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार
- Frequently Asked Questions (FAQS)
- ये भी पढ़ें - अन्य संबंधित सुविचार
लाल बहादुर शास्त्री : संक्षिप्त परिचय
- जन्म - 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (वाराणसी), उत्तर प्रदेश, भारत
- माता-पिता - मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव, रामदुलारी देवी
- जीवन संगी - ललिता शास्त्री (विवाह 1928–1966)
- अन्य नाम - नन्हें,
- संतान - अनिल शास्त्री (वरिष्ठ नेता, कांग्रेस पार्टी), सुनील शास्त्री (नेता, भारतीय जनता पार्टी), हरि कृष्ण, अशोक, कुसुम, सुमन
- प्रपौत्र - आदर्श, सिद्धार्थ नाथ सिंह
- शिक्षा - स्नातक (संस्कृत)
- उपाधि - शास्त्री (1925, काशी विद्यापीठ से)
- सदस्यता - भारत सेवक संघ
- आंदोलन - असहयोग आंदोलन (1921), दांडी मार्च (1930), भारत छोड़ो आन्दोलन (1942)
- विचारधारा - गान्धीवादी
- नारा - जय जवान-जय किसान
- पेशा - राजनेता, स्वतन्त्रता सेनानी
- राजनीतिक संबद्धता - भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
- विशेष - भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री, 9 जून 1964 (पदस्थ) (1964-1966), भारत पाक युद्ध (1965), ताशकन्द समझौता
- धर्म - हिन्दू धर्म
- निधन - 11 जनवरी 1966 (आयु 61 वर्ष) ताशकन्द, उज़्बेकिस्तान, सोवियत संघ, 11 जनवरी लालबहादुर शास्त्री स्मृति दिवस
- समाधि स्थल - विजय घाट (शान्तिवन - नेहरू जी की समाधि के आगे यमुना किनारे)
- पद/सम्मान - उत्तर प्रदेश का संसदीय सचिव(1946), 1951 में, रेल मंत्री, परिवहन एवं संचार मंत्री, वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री, गृह मंत्री एवं नेहरू जी की बीमारी के दौरान बिना विभाग के मंत्री। भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री, भारत रत्न(1966) (मरणोपरान्त)
Lal Bahadur Shastri Quotes in Hindi - लाल बहादुर शास्त्री के अनमोल विचार
- जय जवान, जय किसान।
- अनुशासन और एकता ही किसी देश की ताकत होती है।
- आज़ादी की रक्षा केवल सैनिकों का काम नहीं है। पूरे देश को मजबूत होना होगा।
- कानून का सम्मान किया जाना चाहिए ताकि हमारे लोकतंत्र की बुनियादी संरचना बरकरार रहे और हमारा लोकतंत्र भी मजबूत बने।
- विज्ञान और वैज्ञानिक कार्यों में सफलता असीमित या बड़े संसाधनों का प्रावधान करने से नहीं मिलती बल्कि यह समस्याओं और उद्दश्यों को बुद्धिमानी और सतर्कता से चुनने से मिलती है और सबसे बढ़कर जो चीज चाहिए वो है, निरंतर कठोर परिश्रम।
- सच्चा लोकतंत्र या स्वराज कभी भी असत्य और हिंसक साधनों से नहीं आ सकते हैं।
- हर कार्य की अपनी एक गरिमा है और हर कार्य को अपनी पूरी क्षमता से करने में ही संतोष प्राप्त होता है।
- आर्थिक मुद्दे, हमारे लिए सबसे जरूरी हैं। जिससे हम अपने सबसे बड़े दुश्मन 'गरीबी' और 'बेरोजगारी' से लड़ सकें।
- यदि हम लगातार लड़ते रहेगे तो हमारी ही जनता को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ेगा, हमें लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अशिक्षा से लड़ना चाहिए।
- इसमें कोई संदेह नहीं है कि हमारे पास बड़ी परियोजनाएं, बड़े उद्योग, बुनियादी उद्योग हैं, लेकिन यह सबसे महत्वपूर्ण है कि हम आम आदमी को देखें। जो समाज का सबसे कमजोर तत्व है।
- उसकी जाति, रंग या नस्ल जो भी हो। हम एक व्यक्ति के रूप में मनुष्य की गरिमा में और उसके बेहतर, संपूर्ण और समृद्ध जीवन के लिए उसके अधिकार पर विश्वास करते हैं।
- जब स्वतंत्रता और देश की अखंडता खतरे में हो तो पूरी शक्ति से उस चुनौती का मुकाबला करना सभी का एकमात्र कर्तव्य होता है और इसके लिए किसी भी प्रकार के बलिदान के लिए भी एक साथ मिलकर तैयार रहना होगा।
- जो शासन करते हैं, उन्हे देखना चाहिए कि लोग प्रशासन पर किस तरह प्रतिक्रिया करते हैं? अंततः जनता ही मुखिया होती है।
- देश की तरक्की के लिए हमें आपस में लड़ने के बजाय गरीबी, बीमारी और अज्ञानता से लड़ना होगा।
- देश की ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है, लोगों में एकता स्थापित करना।
- देश के प्रति निष्ठा सभी निष्ठाओं से पहले आती है और यह पूर्ण निष्ठा है क्योंकि इसमें कोई प्रतीक्षा नहीं कर सकता कि बदले में उसे क्या मिलता है?
- भ्रष्टाचार को पकड़ना बहुत कठिन काम है लेकिन मैं पूरे जोर के साथ कहता हूं कि यदि हम इस समस्या से गंभीरता और दृढ़ संकल्प के साथ नहीं निपटते हैं तो हम अपने कर्तव्यों का निर्वाह करने में असफल होंगे।
- मेरी समझ से प्रशासन का मूल विचार यह है कि समाज को एकजुट रखा जाए ताकि वह विकास कर सके और अपने लक्ष्यों की तरफ बढ़ सके।
- मैं किसी दूसरे को सलाह दूं और मैं खुद उस पर अमल ना करूं, तो मैं असहज महसूस करता हूँ।
- मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूँ कि बल का बल से सामना होगा और हमारे खिलाफ़ आक्रामकता कभी भी सफ़ल नहीं होने दी जाएगी।
- यदि मैं एक तानाशाह होता तो धर्म और राष्ट्र अलग-अलग होते। मैं धर्म के लिए जान तक दे दूंगा, लेकिन यह मेरा निजी मामला है। राज्य का इससे कुछ लेना देना नहीं है। राष्ट्र धर्मनिरपेक्ष, कल्याण, स्वास्थ्य, संसार, विदेशी संबंधों, मुद्रा इत्यादि का ध्यान रखेगा। लेकिन मेरे या आपके धर्म का नहीं, वो सबका निजी मामला है।
- लोगों को सच्चा लोकतंत्र और स्वराज कभी भी हिंसा और असत्य से प्राप्त नहीं हो सकता।
- शासन के मूल विचार, जैसा कि मैंने इसे देखा है, समाज में एकता रखनी है ताकि वह अपने लक्ष्यों की ओर बढ़ सके और आगे बढ़ सके।
- हम उपनिवेशवाद और साम्राज्यवाद के अंत के लिए पूर्ण समर्थन देना अपना नैतिक कर्तव्य समझेंगे, ताकि हर जगह लोग अपने भाग्य निर्माण के लिए स्वतंत्र हों।
- हम केवल दुनिया में केवल तभी सम्मान पा सकते हैं अगर हम आंतरिक रूप से मजबूत हैं और हमारे देश से गरीबी और बेरोजगारी को खत्म कर दे।
- हम न केवल अपने लिए बल्कि दुनिया भर के लोगों के लिए शांति और शांतिपूर्ण विकास में विश्वास करते हैं।
- हम भले ही अपने देश की आजादी चाहते हैं, लेकिन उसके लिए ना ही हम किसी का शोषण करेंगे और ना ही दूसरे देशों को नीचा दिखाएंगे। मैं अपने देश की स्वतंत्रता कुछ इस प्रकार चाहता हूं कि दूसरे देश उससे कुछ सीख सकें और देश के संसाधनों को मानवता के लाभ के लिए प्रयोग में ले सकें।
- हम सभी को अपने-अपने क्षेत्रों में उसी समर्पण, उसी उत्साह और उसी संकल्प तथा उसी भावना के साथ काम करना होगा। जो रणभूमि में एक योद्धा को प्रेरित और उत्साहित करती है और यह सिर्फ बोलना नहीं है, बल्कि वास्तविकता में कर के दिखाना है।
- हम स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं, प्रत्येक देश के लोगों के लिए आजादी, बाहरी हस्तक्षेप के बिना, अपने खुद की नियति बनाने के लिए स्वतंत्रता।
- हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है। अपने देश में सबके लिए स्वतंत्रता और संपन्नता के साथ समाजवादी लोकतंत्र की स्थापना और अन्य सभी देशों के साथ विश्व शांति और मित्रता का संबंध रखना।
- हमारी ताकत और मजबूती के लिए सबसे जरूरी काम है, लोगों में एकता स्थापित करना।
- हमें उन कठिनाइयों पर विजय पानी है। जो हमारे सामने आती हैं और हमें देश की खुशी और समृद्धि के लिए दृढ़ता से काम करना चाहिए।
- हमें एक साथ मिलकर किसी भी प्रकार के अपेक्षित बलिदान के लिए दृढ़तापूर्वक तत्पर रहना है।
- हमें शांति के लिए उतनी ही बहादुरी से लड़ना चाहिए, जितना हम युद्ध में लड़ते हैं।
- हर राष्ट्र के जीवन में एक समय आता है जब वह इतिहास के क्रॉस-रोड पर खड़ा होता है और उसे चुनना होता है कि उसे किस रास्ते पर जाना है? लेकिन हमारे लिए कोई कठिनाई या झिझक की आवश्यकता नहीं है। कोई दाईं या बाईं ओर नहीं है। हमारा रास्ता सीधा और स्पष्ट है – सभी के लिए स्वतंत्रता और समृद्धि के साथ-साथ एक समाजवादी लोकतंत्र का निर्माण, और विश्व के सभी देशों के साथ शांति और दोस्ती।
- मुझे ग्रामीण क्षेत्रों में एक मामूली कार्यकर्ता के रूप में लगभग पचास वर्ष तक कार्य करना पड़ा है। इसलिए मेरा ध्यान स्वत: ही उन लोगों की ओर तथा उन क्षेत्रों के हालात पर चला जाता है। मेरे दिमाग में यह बात आती है कि सर्वप्रथम उन लोगों को राहत दी जाए । हर रोज हर समय मैं यही सोचता हूं कि उन्हे किस प्रकार से राहत पहुंचाई जाए?
- अगर एक आदमी भी बोल दे की वो छुआछूत से पीड़ित है, तो हमको शर्म से सर झुका देना चाहिए
Frequently Asked Questions (FAQS)
- लाल बहादुर शास्त्री का जन्म कहां हुआ था?
- इनका जन्म 2 अक्टूबर 1904 में मुगलसराय (वाराणसी), उत्तर प्रदेश, भारत में हुआ था।
- लाल बहादुर शास्त्री के माता-पिता कौन थे?
- इनके माता-पिता मुंशी शारदा प्रसाद श्रीवास्तव और रामदुलारी देवी थी। इनका जन्म कायस्थ परिवार हुआ था।
- लाल बहादुर शास्त्री किन-किन स्वतंत्रता आंदोलनो में शामिल हुए थे?
- आंदोलन - असहयोग आंदोलन (1921), दांडी मार्च (1930), भारत छोड़ो आन्दोलन (1942)
- लाल बहादुर शास्त्री को की उपाधि कब प्रदान की गई?
- लाल बहादुर शास्त्री को 1925 में वाराणसी के काशी विद्यापीठ से स्नातक होने के बाद उन्हें "शास्त्री" की उपाधि दी गई थी।
- भारत के दूसरे प्रधानमंत्री कौन थे?
- लाल बहादुर शास्त्री भारत के दूसरे प्रधानमन्त्री, 9 जून 1964 को पदभार ग्रहण किए थे। इनका कार्यकाल 1964-1966 तक था।
- लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु कैसे हुई?
- इनका निधन 11 जनवरी 1966 (आयु 61 वर्ष) ताशकन्द, उज़्बेकिस्तान, सोवियत संघ में हुआ था। 11 जनवरी लालबहादुर शास्त्री स्मृति दिवस मनाया जाता है।
- लाल बहादुर शास्त्री को भारत रत्न कब प्रदान किया गया था?
- लाल बहादुर शास्त्री को वर्ष 1966 में भारत रत्न (मरणोपरान्त) प्रदान किया गया था।
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